
अमरकंटक मे पौध प्रसाद से प्रकृति संरक्षण की अनूठी पहल

अमरकंटक मे पौध प्रसाद से प्रकृति संरक्षण की अनूठी पहल
नर्मदा मंदिर अमरकंटक एवं जिला प्रशासन का उत्कृष्ट प्रयास

अनूपपुर / प्रकृति की गोद मे बसा अनूपपुर का अमरकंटक क्षेत्र पूरे प्रदेश मे पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने का केंद्र रहा है। पूरे प्रदेश मे पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण प्रति जागृति लाने के उद्देश्य से की गयी नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा का प्रारम्भ एवं समापन इसी क्षेत्र मे हुआ है। इस यात्रा ने प्रदेश नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व मे जल संरक्षण एवं जीवनदायिनी नदियों के पुनर्जीवन हेतु अलख जगाई। जीवन को शांति पूर्वक जीने एवं प्रगति पथ पर सदैव आगे बढ़ते रहना यहाँ की स्वाभाविक वृत्ति है। गत वर्ष नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रो मे किये गए वृक्षारोपण मे स्थानीय जनो की सहभागिता यहाँ के लोगों की पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को निरूपित करती है।
यहाँ यह चर्चा का विषय है क्या पौधारोपण पर्याप्त है? क्या पौधारोपण मात्र से प्रकृति को सुरक्षित किया जा सकता है? पौधारोपण प्रकृति के स्वास्थ्य को बनाए रखने का प्रथम चरण है। यह प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए जनमानस का रुझान है। प्रकृति की देनों के प्रति मनुष्य के दायित्वों के निर्वहन की समझ है। इन दायित्वों के निर्वहन के लिए आवश्यक है कि प्रकृति की सुरक्षा का भाव मनसा वाचा कर्मणा मे आ जाए। पौधारोपण के साथ उनका पालन पोषण कर उन्हे वृक्ष का रूप प्रदान करने मे सहयोग देना। प्रकृति की स्वयं एवं अन्य कारको से सुरक्षा करना ही प्रकृति की अनगिनत देनों के प्रति हमारे दायित्वों का निर्वहन है। यह भाव अगर सभी के मन, वाणी एवं कर्म मे आ गया तो प्रकृति की सुरक्षा के प्रति चिन्तित नहीं होना पड़ेगा।
इस भाव को कैसे लाया जाय , कैसे और मजबूती प्रदान की जाय। नर्मदा मंदिर अमरकंटक, आयुक्त शहडोल संभाग श्री जे के जैन एवं जिला प्रशासन ने विचार विमर्श किया। और यह बात सामने आई कि अमरकंटक की पवित्रता क्षेत्र के सभी वर्ग के लोगो मे स्वीकार्य है। यहाँ की पावन मिट्टी सभी के लिए पूज्य है। पर्यावरण सुरक्षा की भावना को अमरकंटक की पवित्रता से जोड़कर दोनों ही भावनाओ विशेषकर पर्यावरण सुरक्षा की भावना को और मजबूत किया जाय। अधिक से अधिक संख्या मे आम जनो मे इस भावना को उत्पन्न किया जाय एवं भावना पर आधारित कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाय।
इसी भावना को बल प्रदान करने हेतु नर्मदा मंदिर अमरकंटक एवं जिला प्रशासन ने अमरकंटक की पावन भूमि मे तैयार किए, नर्मदा मंदिर मे पूजित पौधों को दर्शनार्थियों को प्रसाद स्वरूप, स्मृति चिन्ह स्वरूप देने की पहल की है। इस पहल से आज 12 जुलाई की यह तारीख और भी पवित्र हो गयी है।
समाज के सहयोग के बिना यह संकल्पना अधूरी – आयुक्त श्री जैन
आज क्षेत्र के लिए गौरव का दिन है। प्रकृति के संरक्षण मे समुदाय की सहभागिता नितांत आवश्यक है। आमजनों के सहयोग के बिना पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की संकल्पना अधूरी है। उक्त विचार आयुक्त शहडोल संभाग श्री जे के जैन ने नर्मदा मंदिर मे पूजित पौधों को प्रसाद के रूप मे प्रदान करने की पहल की शुरुआत मे व्यक्त किए। आपने कहा पर्यावरण संरक्षण केवल व्यक्ति विशेष, शासन की जिम्मेदारी नहीं अपितु समस्त समुदाय की जिम्मेदारी है। इस अभियान की सफलता सभी की सक्रिय सहभागिता पर आधारित है। आपने कहा पौधप्रसाद की पहल का मुख्य लक्ष्य अधिकाधिक पौधारोपण, उनके संरक्षण के साथ, प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का प्रकृति से लगाव का भाव लाना है। पूजित पौधों के प्रति श्रद्धा के भाव से पर्यावरण संरक्षण का भाव लाने हेतु यह पहल की गयी है। पूजित पौधों की सेवा करने से आमजन एवं आगामी पीढ़ी प्रकृति से जुड़ाव का वास्तविक अनुभव करेगी।श्री जैन ने समस्त दर्शनार्थियों से आग्रह किया है कि प्रसाद मे पप्राप्त पौधों का रोपण कर उनकी सेवा कर उन्हे वृक्ष का रूप प्रदान करें। साथ ही अपने आस पास के लोगों मे भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भाव लाने का प्रयास करें।
प्रकृति का सम्मान बनेगा अमरकंटक की पहचान – कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह पी
कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह पी ने बताया कि आयुक्त श्री जैन की इस पहल को सफल बनाने मे जिला प्रशासन एवं नर्मदा मंदिर अमरकंटक के प्रयास के साथ आम जानो का सहयोग आवश्यक है। यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों के जुड़ाव के लिए है।यह जुड़ाव न सिर्फ अमरकंटक क्षेत्र वरन समस्त मानव जाति के लिए उदाहरण बनेगा। प्रकृति के प्रति हमारे स्नेह का उद्गार एवं प्रमाण बनाने के लिए यह पहल की गयी है। प्रकृति के सम्मान को अमरकंटक की पहचान बनाने के लिए समस्त दर्शनार्थियों, श्रद्धालुओं एवं प्रकृति प्रेमियों को इन पूजित पौधो की देख रेख कर इन्हे वृक्ष बनाना पड़ेगा।
त्व्दीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
पर्यावरण की सेवा ही माँ नर्मदा की सेवा है – नीलु महाराज
नर्मदा मंदिर अमरकंटक के पूज्य श्री नीलु महाराज जी ने सभी श्रद्धालुओं को बताया की एक वृक्ष की सेवा कर उसे बड़ा करना समाज को 10 योग्य संतानों की सेवा देने के बराबर पुण्य का कार्य है। आपने बताया कि ऋग्वेद मे भी वृक्षारोपण से होने वाले पुण्य की बात कही गयी है। आपने सभी प्रकार के पौधों का महत्व एवं उनके वृक्षारोपण के स्थान के बारे मे भी विस्तृत जानकारी प्रदान की। महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को बताया कि पुराणो के अनुसार हर एक व्यक्ति को कम से कम तीन पौधों का वृक्षारोपण कर उसकी सेवा अनिवार्यतः करनी चाहिए।
पहले दिन 2000 श्रद्धालुओं ने किया पौधारोपण
उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन लगभग 1500 से 2000 श्रद्धालु अमरकंटक मंदिर का भ्रमण प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन एवं धार्मिक कारणो से करते हैं। इस प्रकार लगभग वर्ष मे औसतन 2 से 3 लाख श्रद्धालु एवं दर्शनार्थी यहाँ आते हैं। अगर सभी अपना कर्तव्य निभाएंगे तो निसंदेह पर्यावरण संरक्षण के लिए किसी अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता नहीं होगी। इस वृक्षारोपण अभियान के प्रथम दिवस 2000 पौधों को श्रद्धालुओं ने रोपण किया और अपने साथ भी ले गए जहां वे अपने घरो मे इनका रोपण कर देखभाल करेंगे। इस अवसर पर पौध प्रसाद प्राप्त करने वाले श्रद्धालुओं ने पौधे को पुत्रवत मानकर उसके रोपण एवं पालन पोषण करने की शपथ ली। पूजित पौधों के प्रदाय के समय अमरकंटक विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अंबिका प्रसाद तिवारी, नर्मदा मंदिर अमरकंटक के ट्रस्टी श्री उमेश द्विवेदी, हनुमानदास जी महाराज, जनप्रतिनिधि , पत्रकार साथी एवं बड़ी संख्या मे श्रद्धालु एवं आमजन उपस्थित थे।
