

जो पुलिस वाले अभी तक लॉक डाउन के आदेश पर आपको घर में धकेलने के लिए लाठी मार रहे थे वही जल्द ही आपको घर से बाहर निकाल काम पर जाने के लिए लट्ठ मारने लगें तो आश्चर्य मत कीजियेगा।
सरकार का लॉक डाउन फॉर्मूला पूरी तरह फ्लॉप हो गया है।
पहले से सरकारी कारनामों से ध्वस्त हो गई इकॉनमी, जीडीपी अब रसातल में जाकर पाताललोक वासी हो गयी है।

मज़दूरों को कारखानों में खटने को रोकने के लिए रेलें गुम कर दी गयी हैं। ताकि सफर और रास्ते की दुश्वारियों से आज़िज आ वे महानगरों में ही रुकने को अभिशप्त हो जाएं।
दिल्ली जैसे बड़े शहरों में व्यवस्था इस रास्ते पर चल पड़ी है कि यदि आपको कोरोनॉ symptoms हैं तो घर में स्वयं quarantine हो जाएं। अस्पताल न आएं। बाकी लोग काम करें।
सरकारें अब उल्टा सिखा रही हैं। 80 प्रतिशत से ज़्यादा कोरोनॉ symtomps वाले स्वतः ठीक हो जाते हैं। जिसमे घबराना नहीं है। अस्पताल न जाएं घर पर ही रहें।
लोकडाउन फैल होने पर herd इम्युनिटी की तरफ सरकार बढ़ेगी।
मतलब….. योग्यतम की उत्तरजीविता! Servival of the fittest.का पालन करना।
अब जो जो कल तक सोशल distancing के गीत गाते न अघाते थे वे देश की डूब गई इकॉनमी के लिए बाहर निकल काम करने के लिए आपको ताना मारे तो आश्चर्य मत कीजियेगा।
बालकनी पर थाली बजाने वाले कल्ड दफ्तरों, दुकानों पर थाली बजाते दिखें तो चौंकिएगा मत।
कोरोना वॉरिअर बना जो पुलिस वाला कल तक आपको लट्ठ से घर मे ठेलता था वह घर से बाहर ठेलने लगे तो घबरा मत जाइयेगा।
टीवी एंकर अब आपके घर बैठने को देश की इकॉनमी से की जा रही गद्दारी बताने लगे तो कनफुजिया मत जाईयेगा।
दरअसल सरकार को मालूम ही नहीं है कि आखिर वास्तव में करना क्या है………..?
“”””आ अब लौट चलें”””‘
