जनपद के 8542500 रु. का नही है अता पता मामला सप्ताहिक बजार बैठकी का:–
पुष्पराजगढ़ से अशुतोष सिंह कि रिपोर्ट:–
जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ अपनी भौगौलिक क्षेत्रफल, विविध पर्यावरण सुन्दरता के साथ मॉ नर्मदा के उदगम स्थली अमरकंटक के नाम से मध्यप्रदेष ही नही पूरे भारत वर्ष में जाना जाता है। वही दूसरी तरफ तहसील पुष्पराजगढ़ में एक मात्र 119 ग्राम पंचायतों का जनपद पंचायत स्थापित है। आदिवासी बाहूल्यता रखने वाले पुष्पराजगढ़ जनपद छेत्र में आदिवासियों के विकास व उत्थान के लिये सरकार द्वारा समय समय पर कई योजनायें संचालित की जाती रही है,किन्तु इन योजनाओं का क्रियान्यवन वास्तविकता के धरातल पर नागन्य ही दिखाई देता है,उसकी वजह जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के वर्तमान में पदस्थ सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी व उनके अधिनस्थ कर्मचारियों की निरकुंसता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम बना मजाकः–
जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेन्द्र त्रिपाठी समेत उनके मातहत कर्मचारी ग्राम पंचायत सचिव भी सूचना का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाने में पीछे नही हैं। किरगी,मोंहदी,दोनिया,सरई,लापुर पूर्व,खाटी,अमदरी,व भेजरी में लगने वाले सप्ताहिक बाजार बैठकी से पिछले तीन वर्षों में कितनी राशि प्राप्त हुई,कितनी राशि का आहरण किया गया,और कितनी राशि पंचायत खाते में शेष है कि जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई, किन्तु आज दिनांक तक जानकारी प्राप्त नही हो सकी,कुछ पंचायतों में लगने वाले सप्ताहिक बाजार से जहां एक ओर जनता को अपने उपयोग का समान आसानी से मिल जाता है,वही दूसरी तरफ पंचायतें वँहा लगने वाले दुकानों से दुकान संचालन के एवज में पैसे वसूल करती हैं,ये वसूल किया गया पैसा विकाश कार्य मे खर्च किया जाता है, ग्राम पंचायतें दुकानों से वसूली का कार्य बोली के माध्यम से ठेका देकर ठेकेदार से करवाती है,अग्रलिखित ग्राम पंचायतों के पिछले तीन वर्षों में दिये गये ठेके उससे प्राप्त हुई राषि और उसका किया गया व्यय के नाम पर सरद द्विवेदी व पुष्पराज सिंह ने जानकारी मांगी थी,तानाशाही रवैया के आदि हो चुके सरपंच सचिवों ने जब जानकारी देने से आना कानी की तब दोनो ने इसकी जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से जनपद पंचायत में दूसरी अपील कर अग्रलिखित सूचना प्राप्त करनी चाही पर वँहा भी निरंकुशता के आदि सीईओ के मातहत टाल-मटोल ही करते रहे,कुछ जानकारी तो दी गई लेकिन जो दी गई जानकारी है मांगी गई जानकारी से भिन्न है, जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ सीईओ और सचिवों द्वारा 2005 सूचना के अधिकार अधिनियम कि खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रहीं है,जानकारी नही मिलने पर दोनों नव यूवक शरद दुवेदी और पुष्पराज सिंह इसकी शिकायत पुष्पराजगढ़ एस.डी.एम बालागुरु के. एवं जिला पंचायत सीईओ से कि है साथ ही पूरा मामला कागजों के साथ मीडिया के सामने भी रखा है।
त्वरित निराकरण डायल 181 को बनाया गया मजाक:–
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कि महत्वाकांक्षी योजना डायल 181 कि जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ द्वारा धज्जिया उड़ाई जा रही है डायल 181 योजना जब प्रारम्भ हुई तब इसका उद्देश्य सीधे जनता से संवाद स्थापित कर जनता को त्वरित हल प्रदान करना था साथ ही सासन-प्रशासन कि कमियो पर मुख्यमंत्री द्वारा मानीटरिंग कर सुधार करना था, किन्तु 181 पुष्पराजगढ़ की जनता के लिये महज दिखावा बन के रह गई है यंहा पदस्त अधिकरी 181 पर की गई शिकायतों को गम्भीरता से नही लेते और गलत जानकारी प्रदेश के मुखिया तक बेधड़क पहुंचा रहे है,इस तरह गलत जानकारी देने कि एक बड़ी संख्या है,गलत जानकारी देने के कुछ अंश इस प्रकार है:– 5311312, 5311387, 5328546, 5784276, 5318852, शिकायत क्रमांको में लगातार गलत जानकारी देकर प्रदेश के मुखिया को गुमराह करते रहे हद तो तब हो गई जब पुष्पराज सिंह द्वारा डायल 181 में कि गई शिकायत क्रमांक 5311312 में 26 जून 2018 में मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा सुनवाई की जा रही है के साथ ही शिकायत का निराकरण हो गया है लिख कर बन्द करने कि बात कही जाती है 25 जून 20108 शिकायत निराकरण एल (3) अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया है 25 जून को फिर सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी द्वारा शिकायत बन्द करने कि बात कही जाती है कहानी खत्म होने की जगह इतनी बड़ी है कि यदि शिकायत क्रमांक 5311312 का यदि प्रिन्ट आउट निकालकर देखा जाये तब 15 से 20 पन्ने भी कम पड़ जायेगें लेकिन आज तक पुष्पराज सिंह को मांगी गई जानकारी नही मिली और न डायल 181 के माध्यम से न्याय मिला यह शिकायत पुष्पराज सिंह द्वारा पहली बार 12.01.2018 को डायल 181 पर दर्ज कराई गई थी।
सप्ताहिक बजार बैठकी नीलामी और गोलमाल कि सूची:–
ग्राम पंचायत सरई 2016.17 ठेकेदार सुनिल सिंह द्वारा 291000 में लिया गाया था 2017.18 ठेकेदार यदुवंष द्वारा 293000 में लिया गया था इनके द्वारा पंचायत मे कितनी राशि जमा की गई है उसकी कोई जानकारी नहीं है यदि उपलब्ध है तो सूचना के आधिकार अधिनियम 2005 वा 2005(1) के तहत जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है इसीक्रम में ग्राम पंचायत बरांझ ठेकेदार का नाम गोविन्द बजांरा राशि 60000 हंसराम 70000 ग्राम पंचायत दोनिया ठेकेदार का नाम समय सिंह राशि 70000 सेवाराम सिंह 78000 ग्राम पंचायत भेजरी ठेकेदार का नाम स्वामीदीन 110000 बब्बू नायक 110000 ग्राम पंचायत लीलाटोला ठेकेदार का नाम मनबोध विश्कर्मा 190000 दोमल सिंह उद्दे 210000 ग्राम पंचायत दमेहड़ी ठेकेदार का नाम रामगोपाल सिंह 400000 शिवकुमार सेन 515000 ग्राम पंचायत बिलासपुर ठेकेदार का नाम शम्भू सिंह 285000 शम्भू सिंह 210000 ग्राम पंचायत लालपुर पूर्व ठेकेदार का नाम शिवकुमार नापित 114000 किशनलाल 583000 ग्राम पंचायत देवरा ठेकेदार का नाम मन्ना सिंह 60000 मन्ना सिंह 118000 ग्राम पंचायत पड़मनिया ठेकेदार का नाम शिवलाल नोहरा 7000 गोमती 6000 ग्राम पंचायत मोंहदी ठेकेदार का नाम अमरजिया बाई 115000 सीताबाई 462000 ग्राम पंचायत करपा ठेकेदार का नाम अवतार सिंह 230000 कन्ना नायक 205000 ग्राम पंचायत लेड़रा ठेकेदार का नाम लाल सिंह 300000 चितरंजन सिंह 295000 ग्राम पंचायत हर्राटोला ठेकेदार का नाम (2016-17)में नीलामी नही की गई शम्भू सिंह नेटी 75000 ग्राम पंचायत कोड़ार ठेकेदार का नाम दुर्गेष सिंह मराबी 83000 कमल सिंह परस्ते 20000 ग्राम पंचायत मिट्ठूमहुआ ठेकेदार का नाम नरसिंह 105000 वीरेन्द्र भान सिंह 190000 ग्राम पंचायत किरगी ठेकेदार का नाम शषांक शेखर जायसवाल 991000 प्रिंस कुमार जायसवाल 1240000 ग्राम पंचायत अमदरी ठेकेदार का नाम सुनील कुमार 301500 ओमकार सिंह 150000 समस्त ग्राम पंचायते ठेकेदार को ठेका तो देती है लेकिन ठेके से प्राप्त आय-व्यय का हिसाब सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत देने से आना-कानी करती है, ऐसे में ठेके से प्राप्त आय पंचायत के खातों में जमा नही की गई है या इसका हिस्सा उच्चअधिकारियो को पहुचाया गया है चाहे जो हो इससे सूचना के अधिकार अधिनियम की अवहेलना जरूर हो रही है।
ग्राम पंचायत भेजरी में ठेकेदार ही बदल गया:–
ग्राम पंचायत भेजरी में जिस ठेकेदार को सप्ताहिक बजार बैठकी वसूली का ठेका दिया गया था वह ठेकेदार पंचायत के किस आदेश के तहत बदल गया किसी को पता नही है ठेकेदार के साथ ही ठेके की राशि भी बदल दी गई 2016-17 में ठेकेदार सूरत सिंह को 135000 में बोली के माध्यम से ग्राम पंचायत द्वारा सप्ताहिक बजार वसूली का ठेका दिया गया था भृरेसाहि की बानगी तो देखिये ग्राम पंचायत भेजरी में ठेकेदार ही बदल दिया गया 2015-16 में डिफाल्टर हुये ठेकेदार स्वामीदीन को 110000 में ठेका दे दिया गया जबकि रिर्काडो को खंगाला जाये तो स्वामीदीन 2016-17 में बोली ही नही लगाया था ठीक इसी क्रम में 2017-18 में 285000 में स्वसहायता भवन में ठेका वीरन सिंह को प्राप्त हुआ था बोली में हिस्सा न लेने वाले बब्बू नायक को 110000 में ठेका दे दिया गया पहले हुये सप्ताहिक बजार के ठेके किस नियम से बदले गये समझ के परे है किस नियम के तहत बब्बू नायक व स्वामी दीन बजार बैठकी की वसूली करते रहे और ग्राम पंचायत सहित जनपद पंचायत के आला अधिकारी मौन रहे क्या इस तरीके का कृत्य आई पी सी की धारा 420 के तहत नही आती लेकिन “”जब सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का””के तर्ज में पंचायत सचिव मनमानी कर रहे हैं।
सीइओ राजेन्द्र त्रिपाठी के कार्यकाल में नही कराई गई बाजार बैठकी कि बोली:–
जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में पदस्थ सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी जहां पिछले तीन वर्षों के सप्ताहिक बजार ठेके की राशि का हिसाब सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 (1) के तहत उपलब्ध नही करा रहे है वंही 2018-19 मे खुद तानाशाही रवैया अपनाया कर सप्ताहिक बाजारों की बोली ही नही लगने दी जो राशि ठेकेदारों के माध्यम से ग्राम पंचायतो में आनी चाहिये क्या बोली नही होने से उतनी राशि पंचायत द्वारा वसूल की जा सकती है बोली कि राशि अदा नही करने पर ठेकेदार पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है पर पंचायत द्वारा वसूली गई राशि पँचायत खाते में नही आने पर कार्यवाही किस पर होगी,और पारदर्षिता कैसे अपनाई जाएगी सोचनीय विषय है?? जहां बोली के माध्यम से पड़े लिखे बेरोजगारो को रोजगार मिलजाता था,वँहा बोली न कराने से कई लोग बेरोजगार हो गये हैं। पुष्पराजगढ़ जनपद के कुछ पंचायतों में सप्ताहिक बाजार जब से संचालित हो रहे है तब से।लेकर आज तक मे यह पहला वाक्या है जब बोली नही हुई है आखिर यह किस नियम के तहत किया गया किसी के समझ में नही आ रहा जबकि खुद सीइओ द्वारा सीसीटीवी कैमरे कि निगरानी में दो सप्ताह का समय इक्षुक ठेकेदारो को बोली हेतु दिया गया था,फिर अचानक आखिर कौन सी बात थी कि बजार बैठकी बोली ही बन्द कर दी गई,और आज दिनांक तक किसी ठेकेदार को इसकी सूचना नही दी गई है। दीनांक 22.04.2018 को बाल्मीक गौतम पिता रामावतार गौतम दैनिक वसूली हेतु राशि 1500 रु.ग्रामपंचायत किरगी में अदा कर दैनिक वसूली करने के लिये अधिकृत किया गया था जब बाल्मीक गौतम दैनिक बैठकी वसूली करने बाजार पहुंचा उससे पहले ही पंचायत द्वारा बाजार बैठकी कि राशि व्यपारियों से वसूल कर ली गई जबकि बाल्मीक गौतम के पास बकायदा 1500 रूपये की सरपंच द्वारा हस्ताक्षरित रसीद है आखिर माजरा क्या है ये तो सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी य संबधित पंचायतें जाने ठेकेदारो और जनता के समझ मे कुछ नही आ रहा है ।