
नर्मदा मंदिर का प्रसाद करेगा पीढ़ियों के सतत विकास विश्व कल्याण में अमरकंटक की अहम भूमिका@मनोज द्विवेदी

नर्मदा मन्दिर का प्रसाद करेगा पीढियों का सतत विकास
विश्व कल्याण मे अमरकंटक की होगी अहम भूमिका
( शाबाश भारत **** मनोज द्विवेदी)
अनूपपुर / 12 जुलाई को माता नर्मदा की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक मे ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनने का अवसर सॊभाग्यवश मुझे भी मिला। यहाँ मन्दिर के पुजारियों, नर्मदा उद्गम मन्दिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ,गणमान्य नागरिकों ,साधू संतो ,पत्रकारों की उपस्थिति में विश्व इतिहास मे पहली बार मन्दिर से श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरुप पौधे दिये जाने की परंपरा का शुभारंभ किया गया। नर्मदा उद्गम मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष शहडोल कमिश्नर जे के जैन की प्रेरणा से कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह पी , सीसीएफ वन श्री ए के जोशी, एसडीएम बालागुरु के , पुजारी नीलू महाराज,जयभारत मंच जिलाध्यक्ष मनोज द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार राजेश शिवहरे अरविन्द पाण्डेय, कैलाश पाण्डेय, अजीत मिश्रा, मनोज शुक्ला,बीजू थामस अमरकंटक विकास प्राधिकरण अध्यक्ष अंबिका तिवारी,नगर पंचायत उपाध्यक्ष रामगोपाल द्विवेदी,हनुमान दास जी महाराज,राधेश्याम उपाध्याय, उमेश द्विवेदी के साथ सैकडों श्रद्धालुओं , गणमान्य नागरिकों, साधू संतों, पत्रकारों की उपस्थिति में मन्दिर प्रांगण के समीप आयोजित सादगी भरे आयोजन मे श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप पौधे प्रदान करने की परंपरा का श्री गणेश किया गया।
*** दिया जाता था हलुवा– आम तौर पर मन्दिरों मे प्रसाद स्वरुप लड्डू, खीर,सिक्के या अन्य मिठाईया,नारियल आदि चढाये व वितरित किये जाते हैं। अमरकंटक नर्मदा मन्दिर मे भी नारियल,फल,मिठाईयों के साथ हलुवा भोग स्वरुप चढाया तथा भक्तों को वितरित किया जाता है। हलुवा लेने के लिये श्रद्धालु गण कूपन लेते हैं। माना जाता है कि माई का प्रसाद भक्तों का कल्याण करता है।
***अब मिलेगा प्रसाद स्वरुप पौधा– प्रसाद भक्तगण खा लेते हैं। लेकिन अब नयी परंपरा के अनुरुप भक्तगण मन्दिर प्रांगण के समीप दुकानों से या नजदीक बने काउंटर से पॊधे लेकर मन्दिर मे अर्पित करेंगे। मन्दिर के पुजारी इन पौधों को मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत पूजन अर्चन कर प्रसाद स्वरुप श्रद्धालुओं को प्रदान करेंगे । प्रसाद स्वरुप मिले माई नर्मदा का यह अक्षय प्रसाद श्रद्धालु अपने घर आंगन या बाडी या खेत मे लगाएगें तो लोगों का भरोसा है कि माई की क्रपा ,उनकी अनुकंपा इस पॊधे के रुप मे आने वाली क ई पीढ़ियों पर रहेगी।
*** पवित्र भूमि की मिट्टी,जल,गोबर,पौधे करेंगे कल्याण— पर्यावरण की रक्षा के लिये नर्मदा मन्दिर मे प्रसाद रुप मे मिलने वाला पॊधा गाय के गोबर से बने गमलों मे लगाया जाएगा। इस गमले में लगे प्रसाद स्वरुप पौधे के साथ पवित्र नगरी अमरकंटक की मिट्टी, जल अंश भी श्रद्धालुओं के घर तक पहुंचने से सुख,शान्ति, आरोग्य ,पर्यावरण शुद्धता मे बढोतरी होगी। श्रद्धालु गण आस्था के साथ पॊधे घर या अन्यत्र जहाँ भी लगाएगें तो उसकी रक्षा भी करेंगे। यह पौधे सुरक्षित बडे होकर आने वाली क ई पीढियों को लाभ प्रदान करेंगे। पर्यावरण सुरक्षा करेंगे।
*** अमरकंटक मे कर सकते हैं अर्पित — जो श्रद्धालुगण किसी कारण से यह पॊधे घर नही ले जा सकते ,वे अमरकंटक मे ही उपलब्ध स्थानों पर इनका रोपण कर सकते हैं। पॊधे क्वालिटी व प्रजाति के अनुरुप 10 ₹ से लेकर अलग अलग कीमत पर मन्दिर के समीप उपलब्ध होंगे।
*** रुद्राक्ष के पॊधे भी उपलब्ध — जो श्रद्धालु माई को रुद्राक्ष ,नासपाती या अन्य फलदार पौधे अर्पित कर प्रसाद रुप मे घर ले जाना चाहते हैं ,वह भी उन्हे यहाँ नाम मात्र की कीमत पर उपलब्ध होंगे।यह पॊधे 10 ₹ से लेकर 400 ₹ तक कीमत के हो सकते हैं।
*** धर्म करेगा पर्यावरण की रक्षा — कमिश्नर जे के जैन ने अनौपचारिक वार्ता के दौरान इस अवसर पर कहा कि माता नर्मदा की उत्पत्ति साल पेड़ के घने जंगलों से हुई है। दुनिया मे माता नर्मदा ही एक मात्र नदी हैं जो हिमग्लैशियर से न निकल कर पेड़ की जडों से निकली हैं। वे पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं। नर्मदा मन्दिर से प्रसाद स्वरुप पौधे दिये जाने से श्रद्धालुओं पर ,उनके परिजनों पर माई के आशीर्वाद से सुख,शान्ति, उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी। पौधों के बडे होने पर उत्तम पर्यावरण के कारण आने वाली पीढियों को इसका लाभ मिल सकेगा।
*** पर्यावरण संरक्षण के लिये बना मिसाल– मन्दिर से प्रसाद रुप मे पॊधे दिये जाने की परंपरा एक ऐतिहासिक घटना है। धर्म को पर्यावरण से जोडकर हम अपनी धरती माता के संरक्षण मे अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकते हैं। यह एक अनुकरणीय प्रयोग है,जिसे अन्य मन्दिरों, गुरुद्वारा, मस्जिदों, आश्रमों ,तीर्थ स्थलों मे अपनाया जा सकता है।इसके माध्यम से पुजारी,साधु ,संत समाज- पर्यावरण निर्माण मे अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान प्रदान कर सकते हैं।
