
गणेश आश्रम हड़पने बाबा सोमेश्वर गिरी नाकामयाब @पुष्पराजगढ़ से अशुतोष सिंह कि रिपोर्ट

गणेश आश्रम हड़पने बाबा सोमेश्वर गिरी नाकामयाब
पुष्पराजगढ़ से अशुतोष सिंह कि रिपोर्ट:–

गणेश आश्रम धरहर कला (राजेन्द्रग्राम) जहाँ प्रसिद्ध गणेश भगवान की प्रतिमा विराजमान है चारो ओर प्राक्रतिक हरियाली से घिरा हुआ कल कल करता हुआ झरना कुंड एवं पहाड़ी में माँ दुर्गा जी का मंदिर व पांडवों के समय की प्राचीन कालीन मंदिर आश्रम के आस पास हरे भरे पेड़ पौधे एवं बेस कीमती जड़ी बूटियों से भरा मैकलांचल पर्वत के बीचों बीच स्थापित गणेश आश्रम में विगत 50 वर्षों से रह रहे बाबा श्री लालगिरी फक्कड़ दस जी 03 जुलाई दिन मंगलवार की शाम उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया उनके मृत्यु के तुरंत बाद जैसे ही सोनमुडा अमरकंटक के बाबा सोमेश्वर गिरी को खबर लगी अपने शिष्यों को लेकर गणेश आश्रम पहुँच गये जहाँ पर स्थानीय भक्त एवं साधु संतों ने रथ तैयार कर बाजा गाजा के साथ बाबा जी का पार्थिक शरीर रखकर अंतिम सोभा यात्रा निकाली गई जिस पर बाबा सोमेश्वर गिरी भी उसी रात यात्रा में शामिल हो गए उक्त यात्रा आश्रम से बसनिहा होते हुये राजेन्द्रग्राम पहुँची जहाँ सैकड़ो भक्तो ने अंतिम यात्रा का दर्शन किये और अंत मे बिधि बिधान से आश्रम परिषर में ही आश्रम में रह रहे उनके शिष्य और भक्तो के द्वारा बाबा जी को समाधि दी गई और इसी बीच बाह बाही लूटने और उत्तराधिकारी बनने के लालच में शातिराने अंदाज से अपने गुर्गो को लगाकर रथ यात्रा में सबसे आगे खड़े होकर कार्यक्रम का पूरे समय सिर्फ फ़ोटो ही खिंचवाते रह गये और अंतिम संस्कार के बाद जैसे ही भक्त जन आश्रम से वापिस हुये बाबा सोमेश्वर गिरी आश्रम में एवं मंदिर के दान पेटी में ताला लगाकर आश्रम की नैनो कार की चाबी लेकर चम्पत हो गए और पूर्व से रह रहे भोलागिरी (खड़ेश्वरी) बाबा जी एवं स्थानीय शिष्यों को धमकी देकर वहाँ से भाग जाने को कहा गया लालगिरी बाबा जी मृत्यु के सोलहवें दिन जब उनके शिष्यों द्वारा सोड़सी मृत्यु भोज कार्यक्रम किया जा रहा था तभी फिर से सोमेश्वर गिरी बाबा अपने दल बल के साथ आश्रम में पहुँच कर आश्रम के लोगो को डरा धमका कर आश्रम में कब्जा कर लोगो से बिबाद करने लग गए जिस पर ग्रामीणों एवं आश्रम समिति के लोगो ने स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस को सूचना दी गई जब प्रशासन ने हस्ताक्षेप किया तब बाबा सोमेश्वर गिरी ने सोभा यात्रा और समाधी के समय ली गई फ़ोटो को पेश कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर आश्रम में उत्तराधिकारी होने का दावा करने लगे परन्तु प्रशासन ने एक नही सुनी और कहा गया कि आश्रम ग्राम पंचायत के अधीन ही रहेगी जिसे ग्राम पंचायत एवं स्थानीय समिति जिसको चाहे उसको रखेगी और यहाँ की ब्यावस्था देखेगी और बाबा सोमेश्वर गिरी एवं उनके गुर्गो को अल्टीमेटम दिया गया की सोड़सी का कार्यक्रम शाँति पूर्ण ढंग से निपटा कर शाम 07 बजे तक आश्रम खाली कर दो इसके बाद भी रात आठ बजे गए परंतु बाबा सोमेश्वर गिरी को आश्रम की अकूत संपत्ति का मोह इस तरह जकड़ लिया था की प्रशासन के मन करने के बाद भी वह वहाँ से जाने को तैयार नही था अंततः बल प्रयोग कर बाबा एवं उनके गुर्गो को वहाँ से खदेड़ कर भगाया गया और जाते जाते आश्रम का सारा सामान जो स्वर्गीय लालगिरी फक्कड़ दास जी द्वारा सँजो कर रखे थे उसे अपने गुर्गो को कह कर अपने वाहन में रखकर वहाँ से रातो रात चम्पत हो गए इस तरह बाबा सोमश्वर गिरी अपने नापाक मंसूबो में नाकाम रहा। और अपनी गलती को स्वीकारते हुये लिख कर दिया कि मैं कल आश्रम की गाड़ी लाकर पहुँचा दूँगा ।स्वर्गीय लालगिरी फक्कड़ दास बाबा के गुरु होने के नाते बाबा सोमेश्व गिरी अमरकंटक से आकर गणेश आश्रम में कब्जा कर आश्रम को हथियाने एवं उत्तराधिकारी बनने का जो सपना देखे थे वो सपना अधूरा ही राह गया इसके बाद ग्रामीणों एवं भक्तजनों के द्वारा यह कहा गया कि आज के बाद अगर बाबा सोमेश्व गिरी अपने गुर्गो के साथ इस आश्रम में डेरा जमाने या कब्जा करने के नियत से यहाँ आएंगे तो निश्चित ही बिबाद होगा और किसी भी सूरत में बाबा को आश्रम में कब्जा नही करने देंगे ये हमारे गांव की धरोहर है और इसकी सुरक्षा करना एवं इसकी पवित्रता को बनाये रखना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है।
