
अंगद की तरह जमे अधिकारियों की होगी विदाई या यूँ….ही देते रहेंगे भ्रष्टाचार को अंजाम (प्रमोद शुक्ला की कलम से)

अनूपपुर/
पुष्पराजगढ़ मे 20 वर्षों से जमे हैं अधिकारी कर्मचारी चाहे स्वास्थ्य विभाग हो या जनपद पंचायत राजस्व विभाग शिक्षा विभाग सहकारिता विभाग कृषि विभाग भूमि संरक्षण विभाग जल संसाधन विभाग ग्रामीण यांत्रिकी विभाग पीएचई विभाग शिक्षा विभाग फॉरेस्ट विभाग एवं अन्य विभाग पुष्पराजगढ़ विभाग के अधिकारियों ऐसे पैर जमाए की जैसे अंगद के पैर की तरह जम गए जबकि मध्य प्रदेश शासन द्वारा 5 वर्ष से अधिक किसी भी अधिकारी कर्मचारी को एक ही स्थान पर नहीं रखा जाता है फिर आखिर इन्हें एक ही स्थान पर 20 वर्षों से क्यों अगर प्रशासन ने किसी अधिकारी कर्मचारी का अन्य जगह स्थानांतरण कर दिया है तो उन्होंने ऐसे जुगाड़ फिट किए की जब चाहा तब अपना स्थानांतरण यथावत करा लिया क्योंकि पुष्पराजगढ़ आदिवासी अंचल होने के चलते यहां कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है अगर किसी जगरूप व्यक्ति ने कह भी दिया तो अधिकारी कर्मचारी द्वारा यह कह दिया जाता है की आपको जो करना हो कर लीजिए हमें तो आप का विकास नहीं अपना विकास करना है अब रही बात इनकी तो जब इन्होंने पुष्पराजगढ़ में कदम रखा है तो एक थाली एक गिलास एक लोटा और एक सेट कपड़ा एक बिस्तर लेकर आए थे अगर आज इनकी स्थिति देखा जाए तो इनके आलीशान बंगले एवं एयर कंडीशनर गाड़ी पर चलते हैं अब रही बात प्रशासन की तो प्रशासन जनता के हित में जो योजनाएं लाती हैं वह योजनाओं का लाभ यह स्वयं का लाभ लेते हैं अब अगर इनकी कहीं भी शिकायत करते हैं तो उससे कुछ भी नहीं होता क्योंकि इनके साफ साफ करने होते हैं कि कुछ चंद सिक्के हम ग्रामीण स्तर के कर्मचारी से लेकर उच्च अधिकारी तक को एवं राजनेताओं को चंद सिक्के व कायदे उनके हिस्से का उन्हें पहुंचा दिया जाता है इसलिए इनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होता कहते हैं कि जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का आखिर प्रशासन इन्हें खुली छूट किस बात के लिए दे दिया गया है आज भी पुष्पराजगढ़ में देखा जाए तो जिन व्यक्तियों के लिए योजनाएं आती हैं आज भी उन तक नहीं पहुंच पाता जिसका जीता जागता उदाहरण बंशकार मोहल्ले में देखा जा सकता है आज भी उन्हें पीएम आवास एवं शिक्षा के मामले में आज भी पिछड़े हुए हैं जब उनके परिवार वालों से बात किया गया तो उन्होंने कहा बांस की टोकरी बनाकर भेजते हैं इन्हीं से इनका जीवन निर्वाह होता है आज भी उनके छोटे-छोटे बच्चे कचरे के ढेर से सी सी बोतल एवं प्लास्टिक को उठाकर बेचते हैं उन्हें आज तक स्कूल के बारे में जानकारी नहीं है अब अगर हम बात करें तो अन्य किसी व्यक्तियों को तो जब मुख्यालय में ही क्या हाल है तो कितना विकास पुष्पराजगढ़ अंचल में हुआ है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है ऐसा नहीं है कि चुनावों के टाइम पर लो अपने-अपने पार्टी के प्रचार के समय यह दावा करते हुए नजर आते हैं की हम विकास करेंगे मगर जब कुर्सी मिल गई तो उन्होंने अधिकारी कर्मचारियों से कहा हमें विकास से मतलब नहीं है हमें केवल अपना विकास चाहिए अब देखना यह है की आखिर कब होगा पुष्पराजगढ़ का विकास कब जागेगा प्रशासन
