
“आंदोलन और मुखौटा” विशिष्ट अतिथ लेखक ( राजकमल पांडे ‘आज़ाद’ )

जैसा कि सभी जानते हैं कि व्यंग्य लिखने के आदी राजकमल पांडे जिन्हें आजाद नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने फिर एक ‘कविता’ के माध्यम से आवाम को सूचित किया वहीं सियासतदारो में भी खलबली मचाया। व्यंग्यात्मक लिखने में माहिर राजकमल ने इशारों ही इशारों में नेताओं की फिर टांग खिंचाई किया जहाँ “आंदोलन और मुखौटा” के नाम से पोस्ट डाला आप भी पढियेगा।
“आंदोलन और मुखौटा”
मुखौटा उतारिए चुनाव
आ गया!
कुछ मीठे-मीठे गीत गुनगुनाइए
चुनाव आ गया!
पुनः नगरपालिका चुनाव
आ गया!
सरकारी खजाना खोल लीजिए
चुनाव आ गया!

अरे…..अरे….अरे….जनाब
सीखचों में कैद गुंडों को छोड़ दीजिए,
पुनः नगरपालिका चुनाव आ गया!
जितने मुद्दे दबे पड़े है, उछाल दीजिए,
चुनाव आ गया!
अपना हक चाहिए,
तो आंदोलन करो!
अपनी आबरू की सुरक्षा चाहिए,
तो आंदोलन करो!
स्वास्थ्य रहना हो तो आंदोलन करो,
मरना हो तो आंदोलन करो,
जीना हो तो आंदोलन करो,
बस देश मे आंदोलन करो,
क्योंकि…..?
यही लोकतंत्र की आवाज है,
बस आंदोलन करो!
