
मसूर की वैज्ञानिक खेती का कलस्टर प्रदर्शन कर रहे कृषि वैज्ञानिक (पुष्पराजगढ़ से स्वाति वर्मा की रिपोर्ट )

उन्नत बीजों और बीजोपचार के बारे में नवीन जानकारी दे रहे वैज्ञानिक, खेती के तरीकों में बदलाव कर उत्पादन को बढ़ा सकते हैं किसान
28 दिसम्बर 2018 अनूपपुर के किसानों को वैज्ञानिक खेती की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को मसूर की वैज्ञानिक खेती का कलस्टर के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें उन्नत बीजों का उपचार करने और फसल को कीटों और रोगों से बचाने के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है।
कुलपति प्रो.टी.वी. कटटीमनी द्वारा किसानों को वैज्ञानिक खेती की ओर उन्मुख करने के लिए हर संभव प्रयासों के निर्देश के.वी.के. को प्रदान किए गए हैं। इसी क्रम में के.वी.के. प्रमुख डॉ.एस.के. पांडे के निर्देशन में कृषि प्रसार वैज्ञानिक संदीप चैहान ने जोहली और नोनघटी ग्रामों में मसूर की 25 एकड़ में वैज्ञानिक खेती का प्रदर्शन किया। इसमें मसूर की सीड कम पुर्टी ड्रील मशीन की मदद से कतार में बुवाई आई.पी. एल- 316 उन्नत किस्म का प्रयोग करना, फंफूदनाशक दवा से बीजोपचार और माहू, जैसिड, पुली छेदक कीट के प्रबंधन के बारे में प्रमुख रूप से प्रशिक्षण दिया गया। फसल सुरक्षा कृषि वैज्ञानिक अनिल कुर्मी ने बताया कि मसूर फसल में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है जिससे बचाव के लिए बीजोपचार आवश्यक है। इस अवसर पर उन्होंने रोगों के समन्वित प्रबंधन तकनीक के बारे में भी जानकारी प्रदान की। कलस्टर प्रदर्शन के दौरान कृषि वैज्ञानिक योगेश कुमार और सूर्यकांत नागरे भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
