

कटघरे मे सीडीपीओ सतीश जैन की कार्यप्रणाली
महिला बाल विकास जैतहरी वैसे तो अपने फर्जी कारनामों की वजह से ख्याति प्राप्त किया हुआ है किन्तु इस बार बच्चों के हक में डाका डालते हुये आदर्श आंगनबाड़ी के लिये आबंटित पैसों का भी बंदरबांट किया जा रहा है। 12 आदर्श आंगनबाड़ी महिला बाल विकास जैतहरी के अंतर्गत आती है और इन आंगनबाड़ियों मे बच्चों के खेल कूद के अतिरिक्त सामान वाॅल पेंटिंग परिसर की स्वच्छता आदि उद्देश्य को लेकर सरकार द्वारा अतिरिक्त पैसे आंबटित किये गये थे यह राशि प्रथम किस्त के रुप मे 50,000 उक्त 12 संस्थाओं के खातों मे डाली गई थी। इन आबंटित पैसों को सीडीपीओ द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यकर्ताओं के खातों से आहरित कर अपने पास मंगवालिया गया है। जहां से इन पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है आदर्श आंगनबाड़ी की कार्यकताये इस बात की लिखित शिकायत भी कर चुकी है किन्तु उच्च अधिकारी भी इस मामले मे मौन धारण किये बैठे है।
मंगल दिवस के पैसों पर भी ग्रहण

सरकार की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजना का आधार भविष्य कहे जाने वाले नवनिहाल बच्चे होते है देश भर मे आंगनबाड़ी के माध्यम से इन बच्चों के अंदर पढाई के प्रति लालसा टीकाकरण के माध्यम से स्वास्थ खिलौने आदि के माध्यम से भाई चारा पौष्टिक आहार के माध्यम से स्वास्थ की चिन्ता भारत सरकार समेत प्रदेशो की सरकार करती है। उसी क्रम मे तदर्थ समिति का गठन कर तीन आंगनबाड़ियों के बीच एक आंगनबाड़ी के खाते मे मंगल दिवस मनाने के अतिरिक्त पैसे सरकारें भेजती रहती है। इन पैसों पर भी गिद्ध की तरह दृष्टि जमाये भ्रष्ट अफसर डाका डालने से नही चूकते इन पैसों का भी खुले आम बंदरबाट किया जा रहा है।
एक व्यक्ति का कर रहा कार्य कई फर्मो के लगा रहा फर्जी बिल
आदर्श आगनबाड़ियों को आबंटित किये गये पैसों का नगद के रुप मे आहरित करवाकर जिम्मेदार सीडीपीओ द्वारा अपने पास मंगवा लिया गया है यहां से कमीसन खोरी का गंदा खेल खेलते हुये एक व्यक्ति को पेंटिग आदि का कार्य सौंप दिया गया है यह व्यकित सभी आदर्श आंगनबाड़ियों मे लीपापोती कर गुणवत्ताहीन कार्य कर रहा है और सादे कागजों पर फर्जी बिल कई फर्मों के नाम से लगा रहा है इस व्यक्ति को परियोजना अधिकारी जैतहरी का पूरा समर्थन प्राप्त है। यहीं से कमीसन का यह गंदा खेल खुले आम खेला जा रहा है।
आडिट मे सामने आ चुकी है गड़बड़ी, नही हुई अब तक कार्यवाही
सूत्रों की माने तो विगत कुछ समय पूर्व हुये आडिट मे आदर्श आंगनबाड़ी के पैसों की गड़बड़ी सामने आई थी किन्तु आज तक दोषियों पर कार्यवाही नही हो सकी। यह बात समझ के परे है कि जब आडिटरों द्वारा उक्त अधिकारी की गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है तब कार्यवाही क्यूं नही की गई ? क्या आडिटर भी बंदरबांट मे सामिल है ? उच्च अधिकारियों के द्वारा सब पता होने पर भी मौन धारण करे रहना उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निसान लगाते है।
इनका कहना है
मेेरे पास प्रत्यक्ष रुप से किसी ने शिकायत नही की है किन्तु जांच की जा रही है और यदि यह मामला सही पाया गया तो न्यायोचित कार्यवाही की जायेगी।
मंजूलता सिंह
जिला महिला बाल विकास अधिकारी अनूपपुर
