

“आरबीआई से आरटीआई के जरिये मिले आंकड़ों के अनुसार भारतीय बैंकों का बैड लोन 146 अरब डॉलर (9.5 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है।
बैंकों के कुल बैड लोन छह महीने के में अंत-जून में 4.5% की बढ़ोतरी हुई। पिछले छह महीनों में, वे 5.8% बढ़ गए थे ।
इसी साल अप्रैल और जून में बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ माइनस में चला गया।
अब सवाल यह है कि अगर कंपनियां लोन नहीं ले रही हैं तो आखिर रोजगार बढ़ेगा कैसे । कल खबर आई थी कि टाटा समूह की बड़ी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज अपने पांच हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए “एग्जिट प्लान” (निकारने की योजना) बना रही है, टाटा समूह की 110 कंपनियों के ऊपर भी बंदी की तलवार लटक रही है, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा कि टाटा टेलीसर्विसेज के लिए 50-60 हजार करोड़ रुपये चाहिए…हमारे पास ये विकल्प नहीं है।”

ऐसा नही है कि आइटी कम्पनिया ही मुसीबत झेल रही हैं पिछले तीन वर्षों में 67 कपड़ा मिलें बंद होने से 17600 स्थायी कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं , लार्सन व ट्रूबो अपने 14000 कर्मचारियों को निकाल दिया है भारत की सूचीबद्ध कंपनियों के रोजगार के आंकड़ों का इंडियन एक्सप्रेस द्वारा किए गये विश्लेषण के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में ज्यादातर कंपनियों में पिछले सालों की तुलना में नौकरियां कम हुई हैं।
और यह तो संगठित क्षेत्र के आंकड़े है असंगठित क्षेत्र में तो ओर भी बुरी हालत हैं बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2016 से लेकर जनवरी 2017 के बीच कुल 1.52 लाख अस्थायी नौकरियां और 46,000 पार्ट टाइम नौकरियां ख़त्म हो गईं
पिछले दिनों आरबीआई का ये कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे देश के 6 महानगरों में कराया गया था वहाँ के लोगों की इस राय से संकेत मिलते हैं कि पूरे देश में आर्थिक हालातों को लेकर सेंटिमेंट किस दिशा में जा रहे हैं. सितंबर के सर्वे में अब तक सबसे ज्यादा 40.7 फीसदी लोगों ने कहा कि आर्थिक हालात बिगड़े हैं, और यही चिंता की बात है. इसी सर्वे में रोजगार को लेकर भी आम लोगों की बढ़ती चिंता साफ दिख रही है. करीब 44 फीसदी लोगों ने कहा कि रोजगार के मोर्चे पर देश में हालात बिगड़े हैं. भारत सरकार के ही श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से नए रोज़गार पैदा होने में 84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है
लेकिन प्रधान सेवक के मंत्री कहते है कि नोकरियो का जाना इकनॉमी के लिए अच्छा है, प्रधान सेवक कह रहे है कि , हमने दिवाली के 15 दिन पहले दिवाला, माफ कीजिएगा दीवाली मनवा दिया था …”
