

इन्ट्रो- थाना क्षेत्र अमरकंटक अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत लपटी मे संचालित गुलजार सिंह के जमीन पर अवैध पत्थर खदान धसकने से पति पत्नी गोवर्धन एवं शकुंतला उसकी चपेट मे आ गये दोनो ही इस खदान मे मजदूरी का कार्य कर रहे थे गोवर्धन को जहां ग्रामीणों द्वारा बचा लिया गया वही शकुंतला की मलबे मे दब जाने से मृत्यु हो गई। देर रात तक चले रेस्क्यू ऑप्रेशन मे जेसीबी मशीन द्वारा मलबा हटाने का कार्य किया गया काफी समय बाद शकुंतला को निकाला जा सका तत पश्चात् डाॅक्टरों द्वारा सकुंतला को मृत घोषित कर दिया गया। शकुंतला की उम्र लगभग 27 वर्ष की रही और उसका निवास स्थान मेढ़ाखार का होना बताया गया। आज अमरकंटक मे पीएम करा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया है।
पुष्पराजगढ़ क्षेत्र मे अनगिनत पत्थर की अवैध खदाने संचालित है जिससे निकाले जाने वाले पत्थर जिला समेत निकट वर्ती राज्य छ.ग. के स्टोन क्रेशरों मे खपाये जाते है पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां पत्थरो की अकूत संपदा भरी पड़ी है। ऐसा नही है कि प्रशासन को इन संचालित अवैध खदानों अवैध परिवहन आदि की जानकारी नही है किन्तु अपने सांठ गांठ के दम पर ये अवैध खनिज माफिया लम्बे अरसे से इस गोरख धंधे को करते आ रहे है प्रशासन के नुमांइदे इन पर लगाम लगाने की जगह कुंभ करणी निद्रा मे आराम फरमा रहे है और उनके नाक के नीचे यह पत्थरों का अवैध करोबार फल फूल रहा है। इससे जहां अवैध करोबारी मालामाल हो रहे है वहीं ग्रामीण दो वक्त की रोटी के जुगाड़ मे अपनी जान तक गवां देते है।
पहले भी जा चुकी है अवैध खदान धसकने से जान

हर्राटोला मे संचालित अवैध पत्थर की खदान धसकने से ग्रामीण मजदूर की जान कुछ समय पहले भी जा चुकी है तब भी प्रशासन इसी तरीके से मूक दर्शक बने देखता रह गया था। ग्रामीण मजदूरों से इन संचालित पत्थर की अवैध खदानों से पत्थर निकलवाया जाता है और निकाले गये पत्थरों का ट्रेक्टर आदि के माध्यम से परिवहन कर स्टोन क्रेसरों तक लाया जाता है और वहीं इन्हे खपाया भी जाता है ये ग्रामीण मजदूर दिन रात इन अवैध खदानों मे जान जोखिम मे लेकर काम करते है प्रशासन इनकी जानमाल की सुरक्षा को अक्सर नजर अंदाज करती है यदि पहले हुई घटना से सीख लेकर अवैध संचालित खदानों को बंद करवाने की कार्यवाही की जाती तो आज ग्रामीण मजदूर सकुंतला को बचाया जा सकता था।
बायोस्फियर जोन मे संचालित है अवैध खदान वा स्टोन क्रेशर
जिस जगह संचालित अवैध खदान मे सकुंतला की जान गई है वह खदान संरक्षित क्षेत्रों मे आता है इस संरक्षित क्षेत्र मे चार स्टोन क्रेशर संचालित है जिनमे से अधिकांश स्टोन क्रेसर प्रशासन के रिकाॅर्ड मे बंद पड़े हुये है जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है वास्तविकता का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि वहां संचालित स्टोन क्रेसरों का बिल लाखों मे आज भी आ रहा है।
खनिज विभाग जान बूझ कर बना अंजान
कहने को तो जिले मे खनिज अमला इन अवैध खदानों की संचालन को रोकने के लिये बनाया गया है लेकिन यह विभाग हमेशा अपनी सेटिंग के लिये जाना जाता है खनिज विभाग के अधिकारी जांच के नाम पर अवैध कारोबारियों से अपना हिस्सा वसूलते रहते है यदि ऐसा नही होता तब सैकड़ो अवैध खदान संचालन के साथ नित नये अवैध पत्थर की खदान संचालित होने का सिलसिला कब का थम चुका होता। और पेट की आग बुझाने के चक्कर मे सकुंतला जैसे ग्रामीण मजदूरों को आकाल काल के ग्रास बनने से बचाया जा सकता है। यदि अभी भी खनिज विभाग अपनी कुम्भ करणी निद्रा से नही जागा तो ऐसी कई सकुंतला इन अवैध खदानों मे दफन होती रहेंगी।
इनका कहना है
मामला कायम कर जांच की जा रही है पत्थर कहां जा रहा था यह जांच का विषय है किन्तु दोषी पाये जाने पर न्याय संगत कार्यवाही की जायेगी।
एसडीओपी पुष्पराजगढ़
प्रतिपाल सिंह
