

अनूपपुर।
आरटीओ कार्यालय में दलालों के साथ कर्मचारियों की भी खूब साठगांठ है। काउंटर पर फार्म जमा करते समय सामान्य व्यक्ति का फार्म आसानी से जमा नहीं होता है। सूत्रों की माने तो अगर दलाल 20 फार्म भी लेकर जाए तब उसे काउंटर से जमा कर लिया जाता है। यहां तक की गाड़ी पकड़े जाने के बाद उसके कागज छुड़ाने के नाम पर भी खूब पैसे लिए जाते हैं। परिवहन विभाग ने दलाली पर रोक लगाने के लिए कार्यालय को ऑनलाइन कर दिया था, पर कुछ दिनों बाद ही कर्मचारियों से मिली भगत कर दलालों ने इसका भी रास्ता निकाल लिया। बता दें कि कम्प्यूटराइज्ड ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, टैक्स डिपोजिट चाहने वालों को ऑनलाइन टेस्ट देना होता है। इसके लिए ऑफिस में कम्प्यूटर लगाए गए हैं। वहीं अन्य कार्यो के लिए भी कम्प्यूटर लगे हैं। इतने के बाद भी ऑफिस पहुंचने वालों को आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने का झांसा देकर मनमाना पैसा ऐंठा जा रहा है। इसी चक्कर में उन्हें फेल तक कर दिया जा रहा है।
350 का ले रहे 1500

परिवहन विभाग में भोले-भाले लोगों से किस तरह ठगी हो रही है यह जानकर आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी। जिस ड्राइविंग लाइसेंस के लर्निग को बनाने के लिए आरटीओ में 350 रुपये फीस के रूप में जमा होता है उसके लिए दलाल 1500 रुपये ले रहे हैं। जबकि दो पहिया वाहन को चलाने के लिए लर्निग लाइसेंस का मात्र दो सौ रुपये ही जमा होता है। 350 रुपये में तो कार व दो पहिया वाहन दोनों के लिए लर्निग लाइसेंस मिल जाता है। वहीं कार व दो पहिया वाहन दोनों के परमानेंट डीएल के लिए 1000 व केवल दो पहिया वाहन का डीएल चाहने वाले को 700 रुपये फीस देना होता है, अगर विभाग दलालों पर रोक लगा दे तो लोगों की जेब कटने से बच सके।
बंद हो गया कैमरा
जानकारों की माने तो कंप्यूटराइजेशन के अलावा ऑफिस में दलालों पर अंकुश लगाने के लिए सीसी कैमरा लगाया गया था, लेकिन वह अब महज दिखावा बनकर रह गया है, यहां तक कि ऑनलाइन टेस्ट कराने के लिए सीसी टीवी कैमरे से लैस अलग केबिन बनाया गया, दावा किया गया कि इसमें एप्लिकेंट के अलावा दूसरों की एंट्री बैन रहेगी, बाहरी लोग एंट्री करते ही कैमरे में कैद हो जाएंगे, पर ऐसा नहीं है, कुछ दिन नजर रखने के बाद कैमरों ने भी आंख बंद कर लिया, इसके पीछे भी दलालों और कर्मचारियों की साठगांठ है, कैमरे कब चालू होते हैं और कब बंद ये किसी को पता ही नहीं चल पता जानकारों की माने तो दलालों की विभागीय बाबुओं सहित अधिकारियों से खुलकर जुगलबंदी है।
खाली हाथ से हवेली का सफर
सूत्र बताते हैं कि 90 के दशक में जिले के लिए बेहतर दलाल की दस्तक हुई थी, जिसने परिवहन विभाग में अपनी ऐसी पैठ जमाई कि उनके बगैर हामी के कोई फाईल अधिकारी तक नहीं देखते, जानकारों का कहना है कि सुनील नामक दलाल खाली हाथ अविभाजित जिले में 1995 में आया था, आज वह अनूपपुर जिले के सबसे प्रतिष्ठित दलालों में सुमार है, लोगों का कहना हे कि सुनील ने दलाली के माध्यम से आरटीओ ऑफिस के पास ही अपना आलीशान आशियाना बनाया हुआ है, साथ ही बिहारी जी के पास आधा दर्जन के लगभग ट्रक भी है, अगर इनकी संपत्ति की जांच, विभागीय अधिकारी सहित रिश्तेदारों की भी जांच हो जाये तब जिले की अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही हो सकती है।
