

मामला अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई का
फ्लाई ऐस न मिलने से ठप्प पड़े ब्रिक्स प्लांट
स्थानांतरित अधिकारी जुटे वसूली में

चचाई।
बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिये शासन भले ही निःशुल्क प्रशिक्षित कर ऋण उपलब्ध करा उन्हें स्वावलम्बी बनाना चाहती है, और युवा मनोयोग से डट भी जाता है लेकिन वह युवा उद्यमी फैले भ्रष्टाचार के आगे टूट जाता है, इसका जीता जागता उदाहरण फ्लाई ऐस ब्रिक्स प्लांट है, जिन्हें समय पर फ्लाई ऐस न मिलने से वह बन्द होने की कगार पर पहुंच रहे हैं, और यह सब कुछ ताप विद्युत गृह चचाई के भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से हो रहा है, यहां बीते तीन दिनों से ब्रिक्स प्लांटों तक फ्लाई ऐस पहुंचाने वाले वाहनों को इसलिए रोक कर रखा गया है कि उनके मालिक अधिकारियों द्वारा मंुह मांगी रकम नही दे पा रहे हैं।
नहीं आदेशों की परवाह
उच्च न्यालय द्वारा अपने एक आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि ताप विद्युत गृह से ऊर्जा उत्पादन के बाद निकलने वाले अपशिष्ट राखड़ को 100 किलोमीटर की सीमा अंतर्गत लगे फ्लाई ऐश ब्रिक्स प्लांटो तक निःशुल्क परिवहन कराया जाए, आदेश परिपालन में ताप विद्युत गृह उत्पादन विभाग के कार्यपालन निदेशक ने बोर्ड में सब कुछ स्पष्ट लिखा है, लेकिन यहां तो फ्लाई ऐस देने का ही अधिकारी पैसा मांग रहे हैं कुल मिलाकर ताप विद्युत गृह चचाई के अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों तक की अपने कमीशन के आगे परवाह नहीं है।
कैसे चल पाएगा उद्योग
जिस प्रकार से बीते 3 दिनों से ताप विद्युत गृह चचाई के अधिकारियों का रवैया सामने आ रहा है ऐसे में क्षेत्र के यह लघु उद्योग कैसे चल पाएंगे और वह बेरोजगार युवा जिन्होंने फ्लाई ऐस प्लांट चलाने के लिए लाखों रुपए का कर्ज ले रखा है वह उसे बैंकों को समय पर कैसे चुका पाएंगे ऐसी ही मार से बेरोजगार युवा टूट रहा है और जिम्मेवार कमीषन के खेल मे मस्त है।
कौन कर रहा अवैध वसूली
फ्लाई ऐश ब्रिक्स प्लांट रोहतक फ्लाई ऐश परिवहन में लगे वाहन मालिकों से प्रति वाहन के हिसाब से अवैध वसूली की जा रही है यह अवैध वसूली कौन कर रहा है इस बात की जानकारी ताप विद्युत गृह के मुखिया तक को है लेकिन वह कौन है पहले यहां की कमान अधीक्षण अभियंता संचालन वीके सिंह संभाल रहे थे और उनके अधीनस्थ अखिलेश सिंह थे उनके स्थानांतरित होने के बाद यह व्यवस्था अशोक कुमार बड़ोनिया साहब के जिम्मे आ गई लेकिन पिछले कुछ माह के हिसाब किताब को लेकर वाहन पर ब्रेक लगा दिया गया स्पष्ट है कि जब तक व वह इन की शर्तों को नहीं स्वीकारते तो उन्हें फ्लाई ऐश नहीं दी जाएगी।
यह होनी चाहिये व्यवस्था
नियमानुसार फ्लाई ऐश के परिवहन में लगे उन वाहनों को जो ब्रिक्स प्लांट तक फ्लाई ऐस पहुंचाते हैं उन्हें सबसे पहले फ्लाई ऐस प्रदाय की जानी चाहिए उसके बाद सीमेंट प्लांटों व अन्य स्थानों में फ्लाई ऐस ले जाने वाले भारी वाहनों को देना है, लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा चलता है सूत्रों की माने तो भारी वाहनों को पहले लाइन लगाकर लोड कराया जाता है, क्योंकि उनसे भारी भरकम राशि महीने में जो मिलती है, समय रहते प्रशासनिक अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो जिले के वह तमाम ब्रिक्स प्लांट बंद हो जाएंगे जो बेरोजगार युवाओं द्वारा कर्ज लेकर रोजगार प्रारंभ करने के लिए लगाए गए हैं।
इनका कहना है
इस सम्बंध में जब जिम्मेदार अधिकारी अशोक कुमार बढोनिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं सहायक अभियंता अखिलेश से बोलता हूं कि वह बताएं, लेकिन अखिलेश सिंह ने लगातार फोन लगाने के बाद भी कोई जानकारी नही दी कुल मिलाकर सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे दिखाई पड़ रहे हैं।
