

अब कहे कौन….?
जैसे ही मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने आगामी लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान किया पूरे देश मे अचार संहिता लग गई।
इधर छुटभैया नेताओं की बाँछे भी तारीखों के ऐलान के साथ खिल गई और उन्होंने अपने घर पर पिछले चुनाव के बाद रखे नये पुराने कुर्ते धोने धुलाने का क्रम भी जारी कर दिया। तैयारी है भाई अपनी अपनी……!
निश्चित ही बेरोजगारी का दंश झेल रहे छुटभैया, मंझोले इन नेताओं के पास रोजगार का एक सुनहरा अवसर जो हांथ लगा है।
सुरुआति दौर में अपने पसंदीदा उम्मीदवार की टिकट ऐसे फाईनल करेंगे जैसे टिकट वितरण की सम्पूर्ण जिम्मेवारी इनके चाटुकारी कंधों पर ही धरी हो। फिर अपनी लोभपरायण ईक्षा लिये उस उम्मीदवार के घर बाहर दिन रात बने रहेंगे। ताकी खुद का घर खर्चा सहित चखने का इंतजाम चुनाव परिणाम आने तक बना रहे…….।
इधर चुनाव के अलावा हमेशा इतराने वाले बड़े मतलब उम्मीदवारी का दावा ठोकने वाले नेताओं को भी ‘विचार” के अलावा दिखावटी समर्पित कार्यकर्ताओं की सार्वधिक जरूरत इन्ही चुनाव के समय ही पड़ती है…… ताकि उनके दरबार मे भीड़ भाड़ बनी रहे और वे खुद को प्रबल उम्मीदवार और जन हितैसी वाले लिबास में नजर आएं। बेरोजगार छुटभैया नेताओं को चाहिए क्या पूछ परख और खर्चा बस…….ना
तो लो भैया वे अपने चमकते कुर्ते के साथ आ गए हैं आपके खेमे में…. भीड़ बटोरगें कह खुद भीड़ का हिस्सा भले बने रहें पर चखने का इंतजाम तो हो ही रहा है…….
कुछ तो दिल्ली जाने के लिए कुर्ता चमका रहे हैं जैसे वँहा टिकट रखी है बस उसे जो पहले उठा लाएगा वाली बात हो।
धड़कने चाहे किसी की भी तेज हो जनता को लोकतंत्र के हवन में एक आहूति तो देनी ही है इस आहूति से पहले जिसका जो होना है हो जाए कुर्ता पैजामा जिसका जितना चमकेगा वह उतना ही बड़ा नेता होने का दम्भ अपने आप मे भरेगा।
अब तो कुर्ते के ऊपर जैकिट पहनने का चलन भी है, तो इसका भी इंतजाम कर करा लिया जाएगा।
खैर आगे क्या होगा वक्त बतलाएगा अभी तो इतना ही है..”” आओ चमकाएं कुर्ता देश मे लगी अचार संहिता””
ये सब हम नही कह रहे इसी लिए हम पहले ही कह देते हैं…….
अब कहे कौन…?
