

ग्रामीणों ने अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा ज्ञापन
इन्ट्रो। जिले के ग्राम पंचायत जरहा अतर्गत आने वाले ग्राम सुआदण्ड के ग्रामीणों ने सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधा के आभाव मे जीवनयापन करने को मजबूर है इन बुनियादी सुविधाओं के प्रति शासन प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नही उठाया गया है। इसी बात को लेकर सुआदण्ड के ग्रामीणों ने 17 वीं लोकसभा चुनाव मे लामबंद होकर मतदान बहिस्कार करने का निर्णय लिया। अपनी बात ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से पुष्पराजगढ़ अनुविभागीय दण्डाधिकारी से कही है। साथ ही जिला मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित थाना प्रभारी को सूचनार्थ प्रतिलिपि सौंपी है।
शहडोल संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाले विकासखण्ड पुष्पराजगढ़ का जरहा ग्राम पंचायत पहाड़ियों के बीच आता है यहां निवासरत लोग आदिवासी और बैगा जनजाति से आते है। जरहा समेत सुआदण्ड, भलवार, सेमदुआरी, चरकूमर, करनपठार, सुरसापारा, बगदरा, बासिन डोंगरी आदि गांव मे सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधा का आभाव आज भी बना हुआ है या तो इन गांव मे ये मूलभूत सुविधाओं का पूर्णतः आभाव है या बुनियादी सुविधा की स्थिति नागण्य है।

मतदान न करने के लिये लामबंद हुये ग्रामीण
अनुविभागीय अधिकारी को सौपे गये ज्ञापन मे ग्राम पंचायत जरहा के ग्राम सुआदण्ड के निवासियों ने उल्लेखित किया है कि बुनियादी सुविधाओं के आभाव मे जीवन यापन करने वाले हम ग्रामीण लोक सभा चुनाव मे एक मत होकर मतदान नही करने का निर्णय लिये है। साथ ही ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि सड़क, बिजली, पानी आदि की समस्या लंबे अर्से से क्षेत्र मे व्याप्त है ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम सभा मे बार बार एजेंडा बनाकर उच्च अधिकारियों को पूर्व मे भी अवगत कराया गया है लेकिन स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। इसीलिये ग्राम सुआदण्ड के निवासी लोकसभा चुनाव का मतदान न कर बहिस्कार करेगें।
विधानसभा चुनाव मे भी किया था बहिस्कार नोडल अधिकारी की समझाईस पर फिर किया मतदान
विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान भी ग्राम पंचायत जरहा की ग्राम सुआदण्ड के ग्रामीणों ने मतदान केन्द्र प्राथमिक शाला सुआदण्ड क्रमांक 27 मे मतदान बहिस्कार का निर्णय लिया था तब भी ग्रामीण लामबंद होकर विकास नही तो मतदान नही के नारे लगा रहे थे ग्रामीणों की मांग थी कि जब सरकार बुनियादी सुविधाओं की तरफ ध्यान नही दे रही है ऐसे मे मतदान करने या नही करने का कोई औचित्य नही होता तब नोडल अधिकारी द्वारा बुनियादी सुविधा के आभाव वाली बात से तात्कालीन कलेक्टर को अवगत कराया। और तब जिला निर्वाचन अधिकारी ने ग्रामीणो को आस्वासन दिया था कि मतगणना के तुरन्त बाद बुनियादी सुविधाओं के प्रति कार्य स्वीकृत कर कराये जायेगे इस आस्वासन पश्चात् ग्रामीणों ने बहिस्कार को त्याग कर मतदान करने का निर्णय लिया था और मतदान भी किया था।
आज भी स्थिति जस की तस
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पुष्पराजगढ़ के पश्चिमी छोर मे निवासरत सुआदण्ड जैसे गांवों मे आजादी के इतने वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है यहां के ग्रामीणों को गर्मी के दिनों मे भीषण पेय जल संकट से गुजरना पड़ता है बारहो महीने पेय जल के लिये झरने आदि पर निर्भर रहना पड़ता है। बिजली कही है और कही नही जहां है भी वहां प्रायः गुल ही रहती है। वैसे तो सड़को का जाल बिछाया जा रहा है किन्तु गुणवत्ताहीन ये सड़के बनते ही टूट गई है शायद यही वजह है कि ग्रामीण लामबंद होकर अपनी आवाज चुनाव बहिस्कार के माध्यम से शासन प्रशासन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे है।
