

आईजीएनटीयू के केवीके ने तीन गांवों के 20 से अधिक किसानों को दी जानकारी…
अनूपपुर।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने विगत दिवस तीन गांवों के 20 से अधिक किसानों का 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को केंचुआ खाद के फायदे बताने, इसको तैयार करने का प्रशिक्षण प्रदान करने और इसके अनुप्रयोगों के बारे में व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से आयोजित की गई। मृदा वैज्ञानिक डॉ. अनीता ठाकुर, कृषि वैज्ञानिक अनिल कुर्मी और सुनील राठौर ने किसानों को केंचुआ खाद से होने वाले लाभों के बारे में बताया। उनका कहना था कि केंचुआ खाद से खेतों की उर्वरा शक्ति प्राकृतिक रूप से बढ़ाई जा सकती है, जिससे उत्पादन बढ़ जाता है। इस प्रकार के उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ती जा रही है जिसमें रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं किया गया हो। इस प्रकार के उत्पादन प्रकृति और मानव स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होते हैं। इस अवसर पर किसानों को विभिन्न प्रकार की फसलों में केंचुआ खाद से होने वाले लाभों के बारे में बताया गया। केवीके ने स्वयं की केंचुआ खाद उत्पादन इकाई भी स्थापित की हुई है। किसानों ने इसका भ्रमण कर व्यावहारिक रूप से केंचुआ खाद बनाने के बारे में जानकारी प्राप्त की। केवीके के प्रमुख डॉ. एस.के. पांडे का कहना है कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को स्वालंबी बनाकर उनकी रासायनिक खाद पर निर्भरता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे प्रकृति को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि केंचुआ खाद कम लागत में तैयार हो सकती है और इसका लाभ काफी अधिक होता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्राम पमरा, पोंडकी और बरसोत के 20 से अधिक किसानों ने भाग लिया।
