

आईजीएनटीयू के अंग्रेजी विभाग में साहित्यकार हरी राम मीणा का विशेष व्याख्यान
प्रसिद्ध साहित्यकार हरी राम मीणा ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में आदिवासी लेखकों की रचनाओं को शामिल किए जाने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि इससे भारतीय समाज के विकास में जनजातियों के अतुलनीय योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। मीणा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में आयोजित विशेष व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। मीणा की प्रसिद्ध रचना ’धूणी तपे तीर‘ जिसका अंग्रेजी अनुवाद ’वेन एरोज वर हीटेड अप‘ प्रकाशित हुआ है, के ऊपर यह विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया था। इसमें उन्होंने उपन्यास के कथानक को अंग्रेजी विभाग के छात्रों के समक्ष विस्तार से प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि यह उपन्यास मानगढ़ी में 1913 में कैप्टन स्टॉकले के नेतृत्व में गोविंद गुरू और उनके विशाल आदिवासी जनसमुदाय पर किए गए आक्रमण पर केंद्रित है। इसमें गोविंद गुरू के अदम्य साहस और उनकी असाधारण नेतृत्व क्षमता का वर्णन किया गया है। उपन्यास के शिल्प की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें सजीवता बनाए रखने के लिए लोक कथाओं, परंपराओं, मिथकों, प्राकृतिक छटा के साथ-साथ स्थानीय बोलियों का भी उपयोग किया गया है। प्रो. कृष्णा सिंह ने उपन्यास को ’इथनोग्राफिक हिस्टोरिकल नावेल‘ बताते हुए इसे अंग्रेजी साहित्यकार राजा राव के प्रसिद्ध उपन्यासों के समकक्ष बताया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. संतोष कुमार सोनकर ने विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमों में इस प्रकार के उपन्यासों को शामिल कर आदिवासी समाज के लेखकों को प्रमुखता दिए जाने पर बल दिया। मीणा के चार कविता संकलन, एक प्रबंध काव्य, तीन यात्रा वृतांत और आदिवासी विमर्श की दो पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी सभी रचनाएं राष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चित रही हैं। उन्हें विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। व्याख्यान में मानविकी और भाषा संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. खेम सिंह डहेरिया, प्रो. तीर्थेश्वर सिंह, प्रो. अभिलाषा सिंह, प्रो. रेनू सिंह, डॉ. विपिन सिंह, डॉ. दीपामोनी बरूआ, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. वीरेंद्र प्रताप, डॉ. मोहम्मद तौसीफ-उर-रहमान सहित बड़ी संख्या में शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया। संचालन सुसुमैना नार्जरी ने किया।
