
शहरो में घुस रहे तेंदुए, वन कर्मियों को इसकी भनक तक नहीं

भोपाल।
तीन महीने पहले शाहपुरा क्षेत्र में धमाचौकड़ी मचाने के बाद रविवार-सोमवार की रात एक तेंदुआ मानव संग्राहलय तक आ धमका। इन दोनों ही घटनाओं की जानकारी वन विभाग को बाद में लगी थी, जबकि भोपाल के आसपास 200 से अधिक कर्मियों का वन अमला चौबीस घंटे निगरानी में जुटा रहता है। तेंदुए के मूवमेंट की भनक न लगाना तेंदुए व आबादी दोनों के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि तेंदुए का लोगों से आमना-सामना हुआ तो जानमाल की हानि तय है। भोपाल से सटे कलियासोत, मेंडोरा, केरवा और आईआईएफएम से लगे जंगल में बाघ-तेंदुए का मूवमेंट बढ़ा है। इनमें ये तेंदुए बार-बार शहर के भीतर घुस रहे हैं। लेकिन वन विभाग की इन तेंदुओं के मूवमेंट पर पुख्ता नजर नहीं है। यही वजह है कि शहर में घुसने के बाद ये लौट जाते हैं पर वन विभाग को पता तक नहीं चलता। वहीं वन्यप्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल के नजदीक पहुंचने वाले बाघ-तेंदुए के मूवमेंट की विभाग को पल-पल की जानकारी होनी चाहिए। ऐसा होने पर वन्य प्राणियों को शहर में घुसने से पहले ही वापस खदेड़ा जा सकता है।
फरवरी में शहर के बीचो-बीच पहुंच गया था तेंदुआ

बीते फरवरी में एक तेंदुआ शहर के बीचो-बीच शाहपुरा की आकाशगंगा कॉलोनी में पहुंच गया था। तेंदुए का मूवमेंट सीसीटीवी फुटेज में कैद होने के बाद वन विभाग को लगी थी। इस घटना से लोग भयभीत थे। यह तेंदुआ केरवा की तरफ से शाहपुरा पहाड़ी से होकर पहुंचा था। वहां वन विभाग की टीमें चौबीसों घंटे गश्त करती हैं लेकिन उन्हें तेंदुए की भनक तक नहीं थी।
इधर, ट्रैप कैमरे में नहीं आया तेंदुआ, पिंजरा लगाया
मानव संग्राहलय तक पहुंचा तेंदुआ ट्रैप कैमरे में कैद नहीं हुआ है। अब वन विभाग ने पिंजरे लगा दिए हैं। ट्रैप कैमरे भी लगे रहेंगे।
