
जनजातीय स्वास्थ्य पर आईजीएनटीयू में विशेषज्ञों के कई सुझाव ( अनिल दुबे की रिपोर्ट )

पारंपरिक वैद्यो के ज्ञान को भी स्वास्थ्य परियोजनाओं से जोड़ने की आवश्यकता
आईजीएनटीयू ने एनआईआरटीएच और आईजीआरएमएस के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए
अनूपपुर।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में जनजातीय स्वास्थ्य पर विमर्श के लिए राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के सहयोग से बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें विशेषज्ञों ने जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य के लिए सक्रिय पारंपरिक वैद्यो को भी स्वास्थ्य परियोजनाओं के साथ जोड़ने का आह्वान किया जिससे जनजातिय स्वास्थ्य के लिए प्रभावी योजनाएं बनाई जा सके। इस अवसर पर आईजीएनटीयू-एनआईआरटीएच और आईजीएनटीयू-इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल के मध्य दो अलग-अलग एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए। राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए आईसीएमआर-एनआईआरटीएच के निदेशक डॉ. अपरूप दास ने संस्थान द्वारा जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य को लेकर किए जा रहे विभिन्न शोध पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनका कहना था कि जनजातीय समुदाय स्वयं के स्वास्थ्य को लेकर कभी भी कोई शिकायत नहीं करता है। वे केवल स्थानीय वैद्यो से परामर्श लेकर आयुर्वेदिक औषधि से स्वयं की बीमारी हल करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय स्वास्थ्य में इन पारंपारिक वैद्यो का काफी योगदान है अतः जनजातीय स्वास्थ्य की परियोजनाओं में इनको भी शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त परियोजनाओं के रूप में जनजातीय स्वास्थ्य की दिशा में शोध करने का सुझाव दिया। आईजीआरएमएस, भोपाल के निदेशक प्रो. सरित के. चौधरी का कहना था कि जनजातीय विकास के लिए संबंधित जनजाति की सांस्कृतिक आवश्यकताओं को भी केंद्र में रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाली जनजातियों की आवश्यकता भिन्न हैं अतः इसी के अनुरूप विकास का मॉडल विकसित किया जाना चाहिए। कुलपति प्रो. टी.वी. कट्टीमनी ने कहा कि विश्वविद्यालय जनजातियों के स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा सहित सभी विषयों पर अन्य संस्थानों के साथ कार्य करने को तैयार है। उन्होंने दोनों संस्थानों के साथ मिलकर एक कार्यकारी समूह बनाने का सुझाव दिया जो जनजातीय कल्याण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दे सकता है। इस अवसर पर जनजातीय स्वस्थ्य के लिए शोध करने पर एनआईआरटीएच के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा आईजीआरएमएस के साथ पीजी डिप्लोमा इन म्युजोलॉजी के लिए भी एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। प्रो. सरित ने बताया कि यह डिप्लोमा कोर्स संस्थान द्वारा संचालित किया जाएगा जिसमें देशभर के प्रमुख विशेषज्ञ अध्यापन करेंगे। एक दिवसीय कार्यशाला में जनजातीय स्वास्थ्य, इनमें पाई जाने वाली प्रमुख बीमारियों और इसमें विश्वविद्यालय की भूमिका, पारंपरिक औषधियों का ज्ञान, जनजातीय महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे ज्वलंत विषयों पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षकों, चिकित्सकों और शोधार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
