
पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम न करना केंद्र की रणनीति या राजनीतिक ”मजबूरी”

पेट्रोल और डीजल की कीमतें आम आदमी को राहत क्यों नहीं दे पा रही हैं,
हमने एक्सपर्ट की मदद से पूरा मुद्दा समझने की कोशिश की है

नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो रही छिटपुट गिरावट आम आदमी को उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं दे रही है। हालांकि ओपक देशों के बीच उत्पादन में इजाफे को लेकर बनी सहमति आने वाले दिनों में ईंधन की कीमतों में कटौती की आस जगा रही है।
नीतिगत मोर्च पर बात की जाए तो लगातार उठ रही मांग के बावजूद केंद्र सरकार ने इस मामले में किसी तरह की राहत देने की संभावना को सीधे-सीधे खारिज कर दिया है। पेट्रोल और डीजल, अन्य कमोडिटी के मुकाबले राजनीतिक रूप से संवेदनशील होते हैं, जो किसी व्यक्ति के मतदाता के रूप में उसके विचार को प्रभावित करता है। हालांकि ओपेक देशों के बीच बनी सहमति आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नीचे लाएगी और लोगों को थोड़ी-बहुत राहत मिलेगी। लेकिन यह राहत केंद्र सरकार की तरफ से एक्साइज ड्यूटी में की जाने वाली कटौती से मिलने वाले फायदे से बेहद कम और न्यूनतम होगी।
