
खुलेआम कुम्हनी पंचायत में लूट ( आशुतोष सिंह की रिपोर्ट )

रिश्तेदार सहित चहेतो को उपकृत कर रहे पंचायत कर्मी
इंजीनियर की भी भूमिका कटघरे में
अनूपपुर।

जिले में स्वच्छता के लिए चलाए गए अभियान को भ्रष्टाचार की बुरी नजर लग गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि स्वच्छता के लिए स्वीकृत की गई राशि भ्रष्ट कर्मचारी हजम कर रहे हैं। निर्मल भारत अभियान से लेकर स्वच्छता अभियान तक के नाम पर बड़ी रकम केन्द्र और राज्य शासन की ओर से स्वीकृत की गई थी। जिसे जनपद में बैठे अधिकारियों से सांठ-गांठ कर पंचायत के नुमाईंदे फर्जी फर्मों का निर्माण करा पलीता लगा रहे है, साथ ही अन्य विकास कार्य के लिए आई राशि का भी खुलकर दुरूपयोग किया जा रहा है, जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ की ग्राम पंचायत कुम्हनी में शौचालय निर्माण के लिए जो पैसा सरकार की ओर से स्वीकृत किया गया उसे इंजीनियर और सचिव ने फर्जी फर्मों के बिल लगाकर आहरित कर लिये, कुम्हनी पंचायतें में तो शहडोल जिले की जयसिंहनगर जनपद के भी सप्लायरों ने सप्लाई की जो अपने-आप में ही भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।
संभागीय मुख्यालय से खरीदी
पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत में इन दिनों भ्रष्टाचार की अलग ही कहानी बयां कर रही है, पंचायतों मे की गई सामग्री सप्लाई और वहां लगे बिलों पर अगर विभागीय जिम्मेदार नजर डाले तो भ्रष्टाचार साफ समझ में आ जायेगा, जनपद पंचायत की कुम्हनी पंचायत में जितनी भी फर्मों ने सामग्री सप्लाई की है, क्या उस हिसाब से क्षेत्र में विकास कार्य हुआ है, मजे की बात तो यह है कि अपना जिला छोड़कर कुम्हनी के सरपंच और सचिव ने संभागीय मुख्यालय से सामग्री खरीदी, जानकारों का कहना है कि इंजीनियर की चहेती दुकान से सामग्री खरीदने पर पंचायतों के बिल पास हो पाते हैं।
रिस्तेदारो ने भी छानी मलाई
ग्राम पंचायत कुम्हनी के रोजगार सहायक सुदेश सिंह वैसे भी क्षेत्र में अपने किये गये भ्रष्टाचार के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी सरपंच को नहीं है, लेकिन कुम्हनी पंचायत में महिला सरपंच की जगह उनके पति ही पूरा काम देखते हैं, सूत्रों का कहना है कि जब से इंजीनियर साहब से सेटिंग हुई तो सुदेश सिंह ने अपने मामा की फर्मों को जमकर लाभ पहुंचाया, कथित रोजगार सहायक द्वारा मामा बृजेश सिंह की फर्म से फर्जी बिल लेकर लाखों की राशि डकार ली, जिसमें सभी जिम्मेदारों ने गोते लगाये।
कौन है सिद्धी विनायक
ग्राम पंचायत कुम्हनी में सिद्धी विनायक सकरा बरटोला नामक फर्म का लगभग 80 हजार का बिल लगा हुआ है, इस फर्म का जो बिल है वह किसी अनूपपुर की सिद्धी विनायक फर्म का है, फर्म अगर सकरा बरटोला में संचालित हो रही है तो बिलो में अनूपपुर का पता क्यों लिखा है, सूत्रों का कहना है कि कथित वेण्डर द्वारा कूटरचित बिल लगाकर अनूपपुर की सिद्धि विनायक नामक को बदनाम किया जा रहा है, जनपद में बैठे अधिकारियों को यह तो देखना चाहिए कि उक्त फर्म अगर सकरा में संचालित हो रही है तो बिल अनूपपुर की फर्म का क्यों लग रहा है, इससे साफ जाहिर होता है कि कथित वेण्डर और रोजगार सहायक ने मिलकर शासकीय राशि में गोलमाल किया है।
रवीना और गहरवार पर किसी की नजर नहीं
ऐसा नहीं है कि रोजगार सहायक, सरपंच और इंजीनियर के कारनामें यहीं पर रूक गये हो, सूत्रों का कहना है कि उक्त तिकड़ी ने मिलकर रवीना ट्रेडर्स और गहरवार ट्रेडर्स के नाम पर भी लाखों के बिल पंचायत में लगाये हुए है, खास बात तो यह है कि उक्त फर्म जयसिंहनगर में शायद संचालित हो रही है, कुम्हनी पंचायतों में लगे बिलों से यह समझ नहीं आता है कि उक्त फर्म अगर जमीन पर हैं तो रोजगार सहायक इन फर्मों पर गये जरूर होगें, स्थानीय लोगों का कहना है कि सरपंच, रोजगार सहायक सहित इंजीनियर के किये गये कार्यो में गुणवत्ता तो दिखाई नहीं देती लेकिन इनके रहन-सहन की गुणवत्ता दिनों बदल गयी हैं, गरीबों को योजनाओं का मिलने वाला लाभ यह सीधे अपनी जेबों में भर रहे है।
सो रहे जिम्मेदार
जिले सहित जनपद में बैठे अधिकारी वैसे तो किसी से इतनी आसानी से मिलते नहीं है, अगर मिल भी जाये तो शिकायत मिलेगी तो कार्यवाही होगी की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, शासन से मिलने वाले मोटे वेतन के बाद भी इनकी लालसा इन दिनों सचिव, रोजगार सहायक के फेंके टुकड़ों पर नजर आने लगी है, भ्रष्टाचार को कम करने के लिए विभाग द्वारा पंच परमेश्वर पोर्टल बनाया गया था, जिससे क्षेत्र में होने वाले विकास कार्य के साथ भ्रष्टाचार का भी खुलासा हो सके, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया कि उनके मातहत विभाग को कैसे पलीता लगा रहे हैं, लोगों का कहना है कि जितने जिम्मेदार भ्रष्टाचार करने वाले हैं, उससे कहीं ज्यादा दोषी जिले तथा जनपद में बैठे अधिकारी, जिन्होंने ऐसी फर्मों और ऐसे कर्मचारियों को खुली छूट दी हुई है।
