
देश की 16% ब्लॉक इकाइयों से होता है सबसे अधिक भूजल का दोहन, केंद्र ने जारी किए आकंड़े
देश इस वक्त जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे में सरकार ने आंकड़ा जारी किया है जिसके मुताबिक देश की 16 तालुका मंडल और ब्लॉक इकाईयों से सबसे ज्यादा पानी का दोहन होता है।

नई दिल्ली।
देश के कई हिस्से इस वक्त भारी जल संकट से जूझ रहे हैं। इसी बीच सरकार ने भूजल के दोहन को लेकर आंकड़ें जारी किए है।जारी आंकड़ों के मुताबिक, 16 प्रतिशत तालुका, मंडल और ब्लॉक स्तर में भूजल का दोहन होता है। केंद्र सरकार द्वारा जारी यह आंकड़ा 6,584 ब्लॉक, मंडल, तहसील स्तर की इकाइयों का भूजल स्तर जांचने के बाद तैयार किया गया है। इनमें से 4,520 इकाइयां ‘सुरक्षित श्रेणी’ के अंदर आती हैं।

आंकड़ों के अनुसार 1,034 इकाइयों से सबसे ज्यादा भूजल को दोहन किया जाता है। देश में लगभग 681 ब्लॉक, मंडल, तालुका स्तर की इकाइयां, जो कुल आंकड़े का 10 प्रतिशत है, यह ‘सेमी-क्रिटिकल’ श्रेणी में आती हैं, जबकि 253 ‘क्रिटिकल’ श्रेणी में हैं। लगभग 1 प्रतिशत ब्लॉक, मंडल और तालुकाओं में खारा पानी था। यह आंकड़ा सरकार के 2013 के आकलन पर आधारित है। “2013 के आकलन के अनुसार, देश में कुल 6,584 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉक, तालुका, मंडल, वाटरशेड, फ़िर्क) में से 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,034 इकाइयों का भूजल सबसे निचले स्तर पर है।
जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री ने पिछले सप्ताह जानकारी साझा करते हुए कहा, ‘253 इकाईयों की स्थिति सबसे गंभीर है। जबकि, 681 इकाइयां सेमी क्रिटिकल और 4,520 इकाइयों को सुरक्षित स्थिति में है।” भूजल का अधिक उपयोग पंजाब (76 प्रतिशत) और राजस्थान (66 प्रतिशत) में सबसे अधिक था, इसके बाद दिल्ली (56 प्रतिशत) और हरियाणा (54 प्रतिशत) था।
पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, त्रिपुरा, ओडिशा, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा राज्यों में भूजल का अधिक दोहन नहीं हुआ। सभी ब्लॉक, तालुका, 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, मंडल स्तर की इकाइयों- अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादरा और नागर हवेली में भूजल स्तर सुरक्षित श्रेणी में।
