
आजादी के ७० सालो के बाद हिमाद्री सिंह के निर्देश पर, अब भाठीबहरा बैगा जनजातियों को मिलेगी रोशनी (यदुवंश दुबे की कलम से)

पुष्पराजगढ़।
जनपद पंचाययत पुष्पराजगढ़ से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मझगंवा जिसका टोला भाठीबहरा है जिस टोले मे 70 घर के बैगा जनजाति निवास कर रहें है उस टोला मे 70 साल बाद भी विकास की कड़ी से अछूता चला आ रहा है मझगंवा ग्राम पंचायत मे विकास के नाम पर मात्र शौचालय का निर्माण कराया गया है। वह शौचालय भी अधूरे पड़े है जो शौचालय भी बनाये गये है उन भी मे कही गढ्ढा नही है तो किसी शौचालय मे फाटक नही है कोई शौचालय हवा के प्यारे हो गये कुछ शौचालय धरासाई होने की कगार पर पहुंच गये जो आने वाले दिनो मे ज्यों का त्यों देखी जा सकेगी।
नही किया पंचायत मझगंवा ने कोई कार्य

ग्राम पंचापयत मझगंवा ने ग्राम भाठीबहरा मे कोई विकास कार्य नहीं किया विकास के नाम पर मात्र शौचालय के अलावा कोई कार्य नही किया जबकि उपरोक्त टोला ग्राम मे 70 घर बैगा की आबादी है एवं 8 घर यादव परिवार एवं दो घर किसान परिवार गोंड़ है यहां निवास कर रहे है जिनकी जनसंख्या मिलाकर 3 से 400 तक मतदाता के रुप मे गिनी जाती है। जहां पंचायत मझगंवा नेत्रहीन एवं बहरी बन चुकी है। वहीं स्थानीय प्रसाशन भी मूक बाधिर साबित हो चला है।
रोड के नाम पर बनी था रास्ता
ग्राम भाठीबहरा पहुंचने के लिये वनविभाग ने काट पीटकर कभी रोड बनाई थी व रोड नही मात्र साधारण रास्ता बनी थी जिसके कारण आवागमन अवरुद्ध बना रहा, वन विभाग ने एक तालाब एवं स्टापडेम का निर्माण कराया। विकास के नाम पर मूल अभिषेक है। पंचायत अधिनियम 1993-94 मे जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ जनपद सदस्यों का चुनाव समपन्न हुये जहां एडवोकेट बालकृष्ण शुक्ला फुन्देलाल सिंह मार्को को पराजित कर जनपद सदस्य निर्वाचित होकर शिक्षा समिति के सदस्य बने जहां उन्होने बीआरसी के माध्यम से पंचायत मझगंवा के टोला भाठीबहरा मे बैगा जनजाति के उत्थान के लिये वैकल्पिक प्राथमिक शाला का संचालन कराया गया। जहां शिक्षक के नाम सें अनुसुईया वर्मा को 1996 मे पदस्थ किया गया अनुसुइ्रया वर्मा पैदल चलकर ३ – 4 किलीमीटर पेड़ के नीचे प्राथमिक शाला मे पहुंचकर बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराती रही वहीं कुछ समय बाद शिक्षक वर्मा सिर पर रेत, ईंट ढोकर एक प्राथमिक शाला का निर्माण कराया गया जो विकास के नाम पर वैकल्पिक प्राथमिक शाला भाठीबहरा टोला है।
नही है कूप, नही है हैण्डपंप, नही थी रोशनी
टोला ग्राम भाठीबहरा कहानी बताती है कि शाशन द्वारा आज तक कोई कूप का निर्मांण नही कराया गया। झिरिया खोदकर पानी पीने को आज भी बैगा जनजाति के लोग मजबूर है। वहीं 24 साल बाद टोला ग्राम भाठीबहरा मे वर्तमान सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह के निर्देशों पर बिजली के खम्भे गड़ा दिये गये है जो अभी तक तार नही लगा है।
समाचार प्रकाशित होते जी जागा प्रशाषन
विदित हो कि उपरोक्त ग्राम टोला भाठीबहरा पंचायत मझगंवा के हाल की कहानी समाचार प्रतनिधि ने उपरोक्त ग्राम पंहुचकर हाल की कहानी से रुबरु हुये जिसकी जानकारी युवा सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह को देषबंधु की खबर ने ध्यान आकर्षित किया जहां नवविर्वाचित सासंद हिमाद्री सिंह ने विभाग के अधिकारियों को बुला बिजली पहुंचाने को निर्देषित किया जहां आनन फानन खम्भा गिरा दिये कुछ खम्बो को गड़ा दिये गये, किन्तु अभी तक गड़े खम्भों में बिजली तार नही लगाया गया जो देखना है कि कितनी मुस्तैदी से विभाग कार्य करता है या खाना पूर्ति करता है।
भाठीबहरा मे नही है बैगा मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़
इस संबध मे जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का कहना है कि पंचायत मझगंवा के टोला ग्राम भाठीबहरा मे बैगा जनजाति नही है जबकि वैकल्पिक प्राथमिक शाला मे पढ़ने वाले छात्रों का नाम बैगा जनजाति मे अंकित है। वहीं राजस्व प्रकरण क्रमांक 46/बी 121- 07-08 का मूल निवासी प्रमाण पत्र तथा अनुविभागीय अधिकारी जिला शहडोल के अस्थाई प्रमाण पत्र अनुविभाग पुष्पराजगढ़ पुस्तक क्रमांक एफ-02/96/आ. प्र./एफ प्रकरण क्रमांक बी/121/ 2001-2002 यह दर्शाता है कि भाठीबहरा मे बैगा जनजाति निवास रत है किन्तु प्रशाषन तंत्र अपने किये कराये गलतियों को छिपाने के उद्देष्य से अपनी अकर्मडता का परिचय दे रहा है।
करोणो रुपये बैगा जनजाति के नाम पर होता है खर्च
यहां हम बता दें कि एकीकृत आदिवासी परियोजना पुष्पराजगढ़ मे प्रतिवर्ष बैगा जनजाति गरीब आदिवासियों के नाम पर करोणो रुपये खर्च किया जाता है। किन्तु बैगा ग्राम टोला भाठीबहरा ग्राम पंचायत मझगंवा के अधीनस्थ गांवों मे बैगाओं के नाम पर की गई खर्च राशि जहां एक भौतिक सत्यापन की आवस्यकता है वहीं एकीकृत आदिवासी परियोजना पुष्पराजगढ़ के सलाहकार मंडल समिति के पदेन अध्यक्ष पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेेत्र के विधायक होते है जिनके अनुमोदन पर बैगा जनजाति के नाम पर विभिन्न योजनाओं के नाम से राशि खर्च की जाती है। किन्तु भारतीय स्वतंत्रता के बाद सन् 1951 से बनी षासन की नीति अनुसार ग्राम पंचायत मझगंवा का टोला भाठीबहरा बैगा ग्राम पता नही क्यों किसके श्राप से अपने विकास के आंसु बहा रहा है जो शासन प्रशाषन के लिये एक विचारणीय प्रश्न है।
