Sunday, November 24, 2024

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

बजट की कमी नहीं है, 70 हजार करोड़ रुपये राज्यों के लिए उपलब्ध – विनी महाजन

केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की सचिव विनी महाजन ने कहा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत बजट की कोई कमी नहीं है। अंतरिम बजट में भी योजना के क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई है। रिवाइज्ड इस्टीमेट के हिसाब से हमारे पास 70 हजार करोड़ रुपये हैं। राज्यों को यह पहले आओ और पहले पाओ के हिसाब से मिल सकता है। उन्होंने राज्यों को आश्वासन दिया कि आप अपना बजट इस्तेमाल करिए, अगले के लिए प्रपोजल भेजिए और रकम ले जाइए। योजना के क्रियान्वयन में फंड का कोई संकट नहीं है। जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन की संयुक्त नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन, यानी शनिवार को राज्यों की चर्चा के बाद वह राज्यों को संबोधित कर रही थीं।


विनी महाजन ने कहा कि हम आगे की जरूरतों को पूरा करने के लिए जल जीवन मिशन (जेजेएम) का दूसरा चरण लॉन्च करने के बारे में भी विचार कर रहे हैं। लेकिन अबतक हम इस बारे में निश्चिम मत नहीं बना सके हैं। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस है कि हम पानी की आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखें। पानी की गुणवत्ता अच्छी हो। बेहतर गुणवत्ता के साथ ही हम इस योजना की सार्थकता को बनाए रख सकते हैं। क्योंकि यह परियोजना इसी परिकल्पान के साथ लाई गई थी, कि लोगों को स्वच्छ जल मिले, जिससे कि लोगों को किसी भी तरह की जल जनित बीमारी से बचाया जा सके। विनी महाजन ने सभी राज्यों से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गर्मियों में पानी की किल्लत किसी को न हो। इस मौके पर नमामि गंगे विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव, जल निगम ग्रामीण के एमडी डॉ बलकार सिंह समेत केन्द्र और राज्य सरकारों के कई अधिकारी मौजूद थे।

ग्रामीण समितियों को मजबूत किया जाए : केंद्रीय जल जीवन मिशन के निदेशक डॉ़ चंद्रभूषण कुमार ने कहा कि हर घर को पानी का कनेक्शन दिए जाने के अतिरिक्त परियोजना के प्रबंधन और संचालन का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्रामीण समितियों को मजबूत करने की जरूरत है। ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्हें जल का महत्व भी समझाना चाहिए। उन्होंने न्यूयॉर्क की जल सप्लाई की केस स्टडी को उन्होंने साझा किया। उन्होंने बताया कि हमें जल स्रोतों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कौशल विकास मंत्रालय लोगों को नल से पानी सप्लाई किए जाने में इस्तेमाल होने वाली मैनपावर को प्रशिक्षित कर रहा है। हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों की ट्रेनिंग करवानी चाहिए। ये परियोजना की निरंतरता में अहम होंगे।

राज्यों ने साझा किए अपने अनुभव: कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन अलग-अलग राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। झारखंड से आए मनीष रंजन ने बताया कि राज्य में करीब 29 हजार गांव हैं। गांव में पानी की टेस्टिंग के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान से राज्य के करीब 28,600 गांवों को जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा जल सी जुड़ी शिकायतों को कम से कम समय में दूर करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधत्व कर रहे राजशेखर ने मिशन की निरंतरता बनाए रखने और जल प्रबंधन पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि कैसे राज्य में एक पॉलिसी इसके लिए बनाई गई है और उसके तहत काम हो रहे हैं। कर्नाटक से शामिल एजाज हुसैन ने राज्य में करवाए जा रहे कामों के बारे में जानकारी दी। इसी कड़ी में नलिनी व अन्य जल नीतिकारों ने योजना के क्रियान्वयन पर अपने विचार साझा किए। हिमाचल प्रदेश के एके सिंह ने स्वच्छता के प्रति चलाए जा रहे अभियानों और आगे की रणनीतियों पर अपनी बात रखी। विभिन्न राज्यों से आए जल नीतिकारों ने जल जीवन मिशन के कार्यक्रम में पारदर्शिता लाने के लिए तमाम पहलुओं पर बात रखी। उन्होंने फीडबैक लेने, जल संबंधी शिकायतों का निस्तारण करने और परियोजना पर मीडिया और सोशल मीडिया के रोल पर बात की।

पांच सत्र हुए आयोजित : कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन कुल पांच सत्र आयोजित हुए। इसमें परियोजना के संचालन और प्रबंधन पर भी एक सत्र था। इसके अलावा अन्य सत्रों में लोगों को हुनरमंद बनाने के लिए प्रशिक्षण देना, फीडबैक लेने व समस्याओं के समाधान, राज्यों के अनुभव आदि पर विस्तार से बात की गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles