spot_imgspot_img

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

महाकुंभ 2025 में आनंद अखाड़े का प्रवेश, गाजेबाजे के साथ साधु संतों की पेशवाई ने किया आकर्षित

  1. महाकुंभ 2025 में आनंद अखाड़े का भव्य प्रवेश
    • आज प्रयागराज महाकुंभ में आनंद अखाड़े के संतों का प्रवेश होने जा रहा है।
  2. एक हजार से अधिक साधु-संतों का शामिल होना
    • आनंद अखाड़े से जुड़े एक हजार से अधिक साधु-संत गाजेबाजे के साथ महाकुंभ में पेशवाई करेंगे।
  3. नागा संन्यासियों की आकर्षक मौजूदगी
    • पेशवाई में नागा संन्यासियों की विशेष मौजूदगी होगी, जो आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं।
  4. गाजेबाजे के साथ पेशवाई की धूम
    • आनंद अखाड़े की पेशवाई में धूमधाम और गाजेबाजे के साथ संतों का प्रवेश।

आज, 6 जनवरी, सोमवार को प्रयागराज महाकुंभ में तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा की भव्य पेशवाई होने जा रही है। यह पेशवाई महाकुंभ के छावनी प्रवेश के रूप में आयोजित होगी, जो बाघंबरी मठ के पास स्थित आनंद अखाड़ा परिसर से निकलकर विभिन्न प्रमुख स्थानों से होते हुए आगे बढ़ेगी।

इस पेशवाई में एक हजार से अधिक साधु-संत शामिल होंगे, और यह ढोल-नगाड़ों की ध्वनि के साथ निकाली जाएगी। यह पेशवाई महाकुंभ के छठवें अखाड़े के रूप में होगी, और इस दौरान कई प्रमुख धर्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन होंगे।

पेशवाई का मार्ग और विशेष आकर्षण

पेशवाई का मार्ग छावनी प्रवेश से लेकर भारद्वाजपुरम्, बाघंबरी, रामलीला पार्क, लेबर चौराहा, बजरंग चौराहा और अलोपीबाग से होकर जाएगा। इस यात्रा में महामंडलेश्वर और देशभर से आए सन्यासी रथों और घोड़ों पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ यात्रा करेंगे। भक्तगण फूल बरसाते हुए संतों का स्वागत करेंगे और उन्हें आशीर्वाद देंगे।

पेशवाई में शामिल होने वाले प्रमुख आकर्षण

पेशवाई के सबसे आगे धर्मध्वजा होगी, जिस पर भगवान सूर्यदेव की मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महराज के रथ को रखा जाएगा। पेशवाई के दौरान नागा संन्यासी त्रिशूल और गदा के साथ यात्रा में शामिल होंगे। इसके अलावा, पेशवाई में 2 हाथी और 15 घोड़े भी शामिल होंगे।

अखाड़े के बारे में

तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है, और इसका इष्टदेव भगवान सूर्य नारायण हैं। यह अखाड़ा महाराष्ट्र के बरार स्थान पर 855 ईस्वी में स्थापित हुआ था और इसे निरंजनी अखाड़े का छोटा भाई भी माना जाता है।

यह अखाड़ा संन्यास लेने की कठिन प्रक्रिया के लिए प्रसिद्ध है। ब्रह्मचारी बनाकर 3 से 4 साल तक आश्रम में रहना पड़ता है, और उसके बाद कुंभ या महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा दी जाती है। पिंडदान के साथ संन्यास की दीक्षा दी जाती है, और यह प्रक्रिया बहुत ही कठिन और पारंपरिक होती है।

महाकुंभ 2025 के दौरान तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संत अपनी धार्मिक गतिविधियों और शिविरों में पूरी महाकुंभ अवधि तक वास करेंगे, और भक्तों को आशीर्वाद देने का कार्य करेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles