Wednesday, October 16, 2024

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सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन को दी गई छूट से जुड़े वास्तविक रिकॉर्ड मांगे; अगली सुनवाई अगस्त में

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को उम्रकैद में छूट देने के लिए नियम बदलने के बिहार सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, लेकिन राज्य ने जवाब के लिए समय ले लिया।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को उम्रकैद में छूट देने के लिए बिहार सरकार ने प्रावधानों में कुछ बदलाव किया था, जिससे उनकी समय-पूर्व रिहाई हो गई। दिवंगत आईएएस की पत्नी उमा कृष्णैया ने छूट दिलाने के लिए प्रावधान बदलने के बिहार की नीतीश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू भी हुई, लेकिन राज्य सरकार की ओर से लिखित जवाब के लिए समय की मांग की गई और कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी। कोर्ट ने अगली सुनवाई एक अगस्त को करने की तारीख दी है। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार को एक अगस्त को जवाब दाखिल कर देना है। इससे बाद इस नाम पर समय नहीं मिलेगा। हालांकि, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को सुनवाई हुई थी। उस दिन कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस करते हुए इस मामले पर दोनों से जवाब मांगा था। कोर्ट ने इस मामले में 2 हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया था। 

आजीवन कारावास की सजा 15 साल में रिहाई कैसे
आनंद मोहन के खिलाफ कोर्ट में दिवंगत IAS अधिकारी जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा देवी ने याचिका दायर की थी। उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार द्वारा कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।  उमा देवी ने कहा था मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है। वह जरूर इस केस में न्याय करेंगे। उनका कहना है कि जब आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई तो उनकी रिहाई 15 साल में कैसे हो गई। कोर्ट से अपील है कि वह मामले पर गंभीरता से विचार करे। दिवंगत IAS कृष्णैय्या की बेटी ने भी रिहाई पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

10 अप्रैल को बिहार जेल मैनुअल 2012 में हुआ था बदलाव
बिहार सरकार ने  10 अप्रैल को बिहार जेल मैनुअल 2012 में बदलाव किया था। इसके तहत सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हत्या को भी सामान्य हत्याकांड की तरह कर दिया गया। पहले प्रावधान था कि सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हत्या करने वालों को रिहाई में छूट नहीं मिलेगी। इस बदलाव के बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। इसके बाद 27 अप्रैल को आनंद मोहन को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। आनंद मोहन की रिहाई पर विपक्षी पार्टियां भी खुलकर सामने नहीं आईं। नियमों में बदलाव को लेकर पटना हाईकोर्ट में भी जनहित याचिका दायर हुई थी।

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