- ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी: इंग्लैंड में शिक्षा के प्रमुख केंद्र, जहां पादरी बनने का सपना देखने वाले छात्र होते थे।
- Isaac Newton का शिक्षा जीवन: न्यूटन ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में शिक्षा ली, लेकिन उनका मन विज्ञान में ज्यादा रमता था।
- विज्ञान में रुचि: न्यूटन का सपना पादरी बनने का नहीं था, बल्कि उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का निर्णय लिया।
4 जनवरी 1643 को इंग्लैंड के लिंकनशायर में जन्मे आइजैक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज कर दुनिया को हैरान कर दिया और विज्ञान की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी। आज हम उनके जन्मदिन को मनाते हुए उनकी जीवन यात्रा और निर्णयों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया, बल्कि साहसिकता का परिचय भी दिया।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में न्यूटन का संघर्ष
17वीं सदी में इंग्लैंड में दो प्रमुख विश्वविद्यालय थे – ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज, जहां मुख्य रूप से धर्मशास्त्र पढ़ाया जाता था। उस समय इन विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्रों का सपना पादरी बनना था। आइजैक न्यूटन भी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में फेलो थे, लेकिन उनका मन धार्मिक सेवा में नहीं लगता था।
कैम्ब्रिज में पादरी बनने की अनिवार्यता के नियम के तहत न्यूटन को भी यह शपथ लेनी पड़ी थी, लेकिन उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुना और इस नियम का विरोध किया। 1675 में, न्यूटन ने इस मुद्दे को लेकर किंग चार्ल्स द्वितीय से भी संपर्क किया।
न्यूटन का साहसिक निर्णय
न्यूटन, जो हमेशा अपने प्रश्नों के लिए जाने जाते थे, ने न केवल विज्ञान में बल्कि धर्म के सिद्धांतों में भी गहन अध्ययन किया। वे पवित्र ट्रिनिटी के सिद्धांत से सहमत नहीं थे और इसे स्वीकार करने के बजाय अपनी सचाई को चुना। उस समय कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पवित्र ट्रिनिटी में विश्वास करना अनिवार्य था, लेकिन न्यूटन ने इस सिद्धांत को नकारते हुए अपनी ईमानदारी का पालन किया और झूठ बोलने से इंकार कर दिया।
किंग चार्ल्स द्वितीय से समर्थन
1675 में न्यूटन ने किंग चार्ल्स द्वितीय से मदद मांगने का फैसला किया। राजा को अपनी समस्या बताने में उन्हें डर था, लेकिन अंततः न्यूटन ने राजा से यह कहा कि वह केवल विश्वविद्यालय के सदस्य नहीं हैं, बल्कि गणित के प्रोफेसर भी हैं। इस तरह उनका तर्क राजा के सामने था और किंग चार्ल्स ने उनकी बात मान ली, जिससे न्यूटन को पादरी बनने से मुक्ति मिल गई।
विज्ञान में न्यूटन की क्रांति
इस निर्णय के बाद, न्यूटन ने अपनी पूरी शक्ति विज्ञान के क्षेत्र में लगाई और उनका योगदान आज भी अनमोल है। उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों ने न केवल भौतिकी में क्रांति ला दी, बल्कि संपूर्ण विज्ञान की दिशा को बदल दिया।
आइजैक न्यूटन के साहसिक निर्णय और उनके अद्वितीय योगदान ने यह सिद्ध कर दिया कि ज्ञान और ईमानदारी से किए गए प्रयासों के माध्यम से ही दुनिया में असली परिवर्तन लाया जा सकता है।