Thursday, October 17, 2024

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तापसी के पिता को मारने दंगाई घर तक पहुंचे थे:घर के बाहर खड़ी कार को फूंक दिया था, हिंदू परिवार ने झूठ बोलकर बचाया

तापसी पन्नू ने एक लेटेस्ट इंटरव्यू में 1984 में सिख दंगों के दौरान अपनी फैमिली के बुरे अनुभव को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि जब ये दंगा हुआ था तो वो पैदा भी नहीं हुई थीं।

उनकी मां बताती हैं कि उनके घर को दंगाइयों ने चारों तरफ से घेर लिया था। दंगाई उनके घर के सामने तलवारें, पेट्रोल बम लेकर आए थे। उन्हें पता था कि वहां एक सिख परिवार रहता था। तापसी के मुताबिक, उनके पिता के वहां मौजूद कुछ हिंदू परिवारों ने बचा लिया था हालांकि उनके घर के बाहर खड़ी कार को दंगाइयों ने जला दिया था।

पिता का इकलौता सिख परिवार था
द लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में तापसी पन्नू ने कहा, ‘जब सिख दंगे हुए, उस वक्त तक मेरे पेरेंट्स की शादी नहीं हुई थी। मेरे पिता दिल्ली के शक्ति नगर में रहते थे जबकि मां ईस्ट दिल्ली में रहती थीं।

मेरी मां कहती थीं कि उनका एरिया तो सेफ था लेकिन शक्ति नगर में पिता का इकलौता सिख परिवार था। पिता के घर के बाहर जोंगा (कार) खड़ी रहती थी। उस वक्त बहुत कम कम लोगों के घर गाड़ियां होती थीं।’

घर के नजदीक आ गए थे दंगाई
तापसी ने कहा, ‘दंगाइयों को पता था कि वहां एक सिख परिवार रहता है, वो घर के नजदीक तक आ गए थे। वहां से भागने का भी कोई ऑप्शन नहीं था। परिवार वालों ने घर की सभी लाइट्स को बंद कर दिया था।

उस बिल्डिंग में तीन हिंदू फैमिली रहती थी। उन्होंने दंगाइयों से कह दिया कि वो (पिता का परिवार) भाग चुके हैं। तब दंगाइयों ने कुछ न पाकर वहां खड़ी जोंगा कार को ही फूंक दिया। इस तरह मोहल्लें वालों ने मेरे पिता के परिवार को बचा लिया।’

क्यों हुआ था सिख दंगा ?
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिख बॉडीगार्ड्स ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सिख-विरोधी दंगे भड़क उठे।

दिल्ली के त्रिलोकपुरी, सुल्तानपुरी, मंगोलपुरी, कल्याणपुरी, शाहदरा, गीता कॉलोनी और पालम में कत्लेआम हुआ। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस दंगे में करीब 2800 सिखों की हत्या हुई थी साथ ही कुछ अन्य धर्मों के लोग भी मारे गए थे।

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