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अवध महोत्सव में बतुल बेगम ने सुनाया बोल सुवा राम राम…

अवध महोत्सव का आयोजन 1 से 5 अप्रैल तक यूपीएसएनए परिसर में हो रहा है

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और संगीत नाटक अकादमी-संस्कृति विभाग, उ.प्र. की ओर से रामोत्सव के अन्तर्गत अवध महोत्सव 1 से 5 अप्रैल तक गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के परिसर में भव्य स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। कला, संस्कृति और विरासत के इस महासंगम में गायन और नृत्य प्रस्तुतियों के साथ ही रंगोली और पतंगबाजी, अवधी परिधान, शतरंज प्रतियोगिता के साथ ही इक्का-तांगा दौड़, हेरिटेज वॉक, पुतुल नाट्य उत्सव किस्सागोई और अवधी व्यंजन मेले का भी लुत्फ उठाया जा रहा है। अवध महोत्सव के तीसरे दिन बुधवार 3 अप्रैल को गाजियाबाद की समीक्षा शर्मा का कथक नृत्य, लखनऊ के अग्निहोत्री बंधु का भजन गायन और राजस्थान की बतुल बेगम का सूफी गायन आकर्षण का केन्द्र बना वहीं अकादमी परिसर में आगंतुकों का स्वागत झांसी से आमंत्रित राधा प्रजापति और साथी लोक कलाकारों ने राई नृत्य से किया। इसके साथ ही इक्का तांगा दौड़ भी सुबह करवायी गई।
अवध महोत्सव के तीसरे दिन बुधवार तीन अप्रैल को मुख्य अतिथि उप निदेशक संस्कृति अमित कुमार अग्निहोत्री के साथ सहायक निदेशक संस्कृति रेनू रंगभारती और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने अवध महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन किया। इस अवसर लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी, भातखंडे सम विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय, डीजी रेलवे एके राना, एडीजी रेलवे एसके जैन, एसपी विजिलेंस नीति द्विवेदी सहित कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे। गाजियाबाद की लोकप्रिय कथक नृत्यांगना समीक्षा शर्मा के दल ने शंकर अति प्रचंडह्व की रचना पेश की। इसमें महादेव के अघोर मुखी स्वरूप को प्रभावी रूप से दशार्या गया। दूसरी रचना सूरदास के पद सुंदर बदन में अंतरमुखी नायिका पेश की गई। उसमें नायिका कृष्ण से प्रेम तो करती है पर कह नहीं पाती है। इस एकल नृत्य को स्वयं समीक्षा शर्मा ने बेहतरीन भावों के साथ पेश किया। अंत में पारंपरिक जयपुरी कथक का अंग विस्तार से देखने को मिला। इसमें दल के कलाकारों ने एक पैर से लट्टृ की गति की अनुकृति कथक नृत्य के माध्यम से पेश की वहीं परनों के बाद पांच तरह के चक्करों का प्रभावी प्रदर्शन भी किया। दल के कलाकारों में मनुहार जोशी, सुष्मिता, मनप्रीत, अनुराग, मृणालिनी शामिल रहीं।
श्वेता तिवारी के संचालन में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में लखनऊ के अग्निहोत्री बंधु के भजन गायन ने दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने संध्याकाल के अनुरूप छंद जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंताह्व से प्रस्तुति का मधुर आगाज किया। उसके बाद इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन की रचना अब तो पलक उठाओ भगवन, जय जय भोले भंडारी बेड़ा पार लगाओ भगवन को अपने खास अंदाज में पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने हनुमान चालीसा के अंश भी सुनाए।
राजस्थान की बतुल बेगम का सूफी गायन आकर्षण का केन्द्र बना। बतूल बेगम राजस्थान के जयपुर की लोकप्रिय लोक गायिका हैं। उनका मांड और भजन गायन विदेशों तक में लोकप्रिय है। वह ढोल, ढोलक और तबला जैसे ताल वाद्यों के वादन में भी महारत हासिल हैं। उन्हें साल 2022 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 2021 नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बुधवार को उन्होंने विशेष रूप से गजानन देवा, केसरिया बालम, बोल सुवा राम राम, डिग्गीपुरी का राजा, राम सा पीर जैसे एक से बढ़कर एक पारपंरिक राजस्थानी गीत और भजन सुनाकर चाहने वालों का दिल जीत लिया।

इक्का तांगा दौड़ प्रतियोगिता में असलम रहे अव्वल
पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य अकादमी की ओर से आयोजित अवध महोत्सव 2024 में हो रही प्रतियोगिता में बुधवार 3 अप्रैल को सुबह लखनऊ यूनिवर्सिटी से नदवा तक इक्का-तांगा दौड़ का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने हरी झंडी दिखाकर इक्का तांगा दौड़ को रवाना किया। इसमें जुग्गन खान के संयोजन में लखनऊ के फैजल खान, भाईजान खान, पोपा चाचा, शब्बर शकील, गुल्ले, रंजीत सोनकर, अतीक भग्गी वाले, असलम बग्गी, कादिर, नरेश सोनकर, रज्जाक, इमरान, कल्लू ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। इक्का तांगा दौड़ प्रतियोगिता में असलम बग्गी पहले, इमरान दूसरे और फैसल खान तीसरे स्थान पर विजयी रहे।

शहीदे आजम उधम सिंह की हुई पुतुल प्रस्तुति
जंग-ए-आजादी के नायक के जीवन पर आधारित पुतुल नाट्य प्रस्तुति शहीद-ए-आजम उधम सिंह और हरियाली का हाथ का प्रदर्शन किया गया। इसमें चन्द्रशेखर शुक्ला, तान्या मेराज, सत्यम मिश्रा, तनय मेराज, लता बाजपेई, लावण्या बाजपेई, अगम्या बाजपेई ने पुतुल संचालन किया जबकि निर्देशन का दायित्व मेराज आलम ने किया।

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