आपका बढ़ाया हर कदम आपको खुशी की ओर ले जा सकता है। अगर यह पता हो कि जाना कहां है, लक्ष्य क्या है। राष्ट्रीय राइफल्स के लेफ्टिनेंट कर्नल अमर देहल से बढ़कर इसका उदाहरण और कौन हो सकता है, जो 35 साल की उम्र में रोबोट की मदद से फिर चलना सीख रहे हैं।

2017 में कश्मीर के शोपियां जिले में तैनात थे
सितंबर 2017 में वे कश्मीर के शोपियां जिले में तैनात थे। तभी एक आतंकी हमला हुआ। उन्हें दो गोली मारी गई। एक सिर में लगी और मस्तिष्क के बाईं ओर फंस गई। दूसरी गाेली पेट में लगी।इसके बाद देहल आठ महीनों तक कोमा में रहे। जब कोमा से जागे तो व्हीलचेयर पर रहे। क्योंकि न्यूरोलॉजिकल समस्या के कारण मस्तिष्क से शरीर के निचले अंगों तक संकेत पहुंचना बंद हो गए थे। उसके बाद वे कभी भी व्हीलचेयर से खड़े नहीं हो सके।
लेकिन 2022 में नवंबर की पहली तारीख काे मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के न्यूरो रिहैबिलिटेशन विभाग में खिलखिलाते हुए देहल ने रोबोट की सहायता से पांच साल बाद पहला कदम उठाया।
देहल की पत्नी की उम्मीद -वे जल्द अपने पैरों पर चलने लगें
देहल की पत्नी लेफ्टिनेंट कर्नल शीला उनके साथ थीं। वे कहती हैं कि उस दिन अमर के चेहरे पर वैसी ही खुशी और उत्साह था जैसा पहला कदम उठा रहे बच्चे के चेहरे पर होता है। अगले दस दिन में देहल सात हजार कदम इसी तरह ट्रेडमिल पर रोबोट की सहायता से चले। उम्मीद है वे जल्द ही अपने पैरों पर चलने लगेंगे।
रोबोट देता है चुनौती, 5 साल बाद पैरों पर खड़े हुए
अस्पताल में फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव बताते हैं कि रोबोट-असिस्टेड थैरेपी रोगी को संतुलन बनाने और चलने के काबिल बनाने में कारगर है। रोबोट उनके अंगों के साथ तालमेल करता है और अंगों को संदेश देता है कि चलने में कितनी शक्ति का इस्तेमाल करना है। रोबोट मरीज के सामने नए लक्ष्य और चुनौतियां रखता है उसे ठीक करने में मदद करता है।