उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के घटना के बीच गृह मंत्री अमित शाह 4 केंद्रीय मंत्रियों के साथ हाइलेवल मीटिंग की। सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए। हालांकि मीटिंग में क्या बात हुई इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।
इधर, जोशीमठ में जमीन खिसकने का असर सेना पर भी हुआ है। आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को बताया कि- आर्मी बेस की 25-28 इमारतों में मामूली दरारें आई हैं। सैनिकों को अस्थायी रूप से औली शिफ्ट कर दिया गया है। जरूरत पड़ी तो उनकी तैनाती स्थायी कर दी जाएगी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी जोशी मठ पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों और एक्सपर्ट्स के साथ बैठक की। धामी ने कहा- जोशीमठ के सिर्फ 25% घरों में दरारें हैं, ऐसे घरों को खाली करवा लिया गया है। ऐसा माहौल न बनाएं कि जोशीमठ खत्म हो रहा है।
CM ने कहा- डर के माहौल से पर्यटक नहीं आएंगे
CM धामी ने कहा कि जोशीमठ की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है। 4 महीने बाद चार धाम की यात्रा भी है। डर का माहौल बनाने से पर्यटक नहीं आएंगे। प्रभावितों के खाते में शाम तक फौरी तौर पर 1.5 लाख रुपए की मदद पहुंच जाएगी। बाद में प्रभावितों को और मदद दी जाएगी। हमने सरकार और जनप्रतिनिधियों की कमेटी बना दी है, जो मुआवजे के बारे में बात कर रही है।
पिछले 24 घंटे में 50 अन्य घरों में दरारें आईं
पिछले 24 घंटों में जोशीमठ में 50 से ज्यादा अन्य घरों में दरारें देखी गईं। पहले यह आंकड़ा 723 था। उधर, लोगों का कहना है कि मुआवजा तय हुए बिना वे अपनी संपत्ति कैसे छोड़ दें। कुछ लोगों को होटलों में शिफ्ट किया गया, लेकिन वहां भी दरारें थीं। इससे लोग नाराज हो गए। इनका कहना था कि जब मरना ही है तो हम अपने घरों में ही मरना पसंद करेंगे।
इस बीच जोशीमठ में घर के सर्वों को लेकर असमंजस बना हुआ है। लोगों का आरोप है कि सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा दिख रहा है। एक कमरे में तीन-तीन परिवार रह रहे हैं। छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए सर्द रातें किसी बुरे सपने के समान साबित हो रही हैं। सुबह होने पर इनमें से ज्यादतर परिवार अपने घरों के बरामदों में आकर बैठ जाते हैं।

सिंहद्वार के रमेश सिंह नेगी ने कहा कि मंगलवार को सर्वे करने वाली टीम ने उनके मकान को सुरक्षित बताया था। रमेश बुधवार को काम पर चले गए। दोपहर में उनकी पत्नी ने फोन कर बताया कि सर्वे टीम आई है और कह रही है कि आधे घंटे में मकान खाली कर दो। रमेश तुरंत घर पहुंचे तो पत्नी बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल था। आधे घंटे में मकान कैसे खाली करेंगे। कहां जाएंगे। आसपास के कुछ घरों में भी कोहराम मचा हुआ था।
