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सुशांत की विश लिस्ट को पूरा कर रहे हैं नीलोत्पल:दो ब्लाइंड बच्चों को गोद लिया क्योंकि सुशांत की ख्वाहिश थी, एक लाख पौधे भी लगवाए

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत जिंदा होते तो आज उनका 37वां जन्मदिन होता। 14 जून 2020 को दुनिया को अलविदा कह गए सुशांत की मौत आज भी अनसुलझी पहेली है। CBI इस गुत्थी को सुलझाने में लगी है कि सुशांत ने आत्महत्या की थी या उनकी हत्या हुई थी। ढाई साल बीत गए हैं, लेकिन सुशांत की मौत का मुद्दा आज भी गर्म है। मामले की गर्माहट को बनाए रखा है सोशल मीडिया ने। लगभग हर दिन ट्विटर पर सुशांत सिंह राजपूत से जुड़ा कोई हैशटैग ट्रेंड कर रहा होता है।

आज हम सुशांत के जन्मदिन पर उस शख्स से आपको मिलवा रहे हैं, जिसने पिछले ढाई साल से सुशांत को लोगों के दिलों में जिंदा रखा है। सुशांत की मौत को भूलने नहीं दिया है। अगर ये कहा जाए कि सोशल मीडिया पर सुशांत को लेकर जितने भी हैशटैग ट्रेंड करते हैं, उनके पीछे एक ही इंसान है, तो ये गलत नहीं होगा।

नीलोत्पल मृणाल वो हैं, जिन्होंने सुशांत की मौत के दिन से ही उन्हें न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट डालनी शुरू कर दी थीं। समय गुजरता गया, हैशटैग ट्रेंड बढ़ते गए। #Justice4SSR, #CBI4SSR, #Justiceforsushant ऐसे दर्जनों ट्रेंड हैं, जो नीलोत्पल की कोशिशों का नतीजा हैं।

सुशांत सिंह के कजिन के दोस्त नीलोत्पल उन 5 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने अंतिम यात्रा में सुशांत को कंधा दिया था। अब नीलोत्पल सुशांत की याद में एक वेबसाइट भी चलाते हैं, जिसके जरिए उन्होंने दुनियाभर के फैंस को जोड़ रखा है।

सुशांत की याद में पौधे लगाना, गरीबों को खाना बांटना, बच्चों को स्कॉलरशिप देना ऐसे कई काम नीलोत्पल कर रहे हैं। वो सिर्फ सुशांत को इंसाफ दिलाने के लिए ही सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं है, बल्कि वो सुशांत की अधूरी ख्वाहिशों को भी पूरा करने में जुटे हैं। जैसे सुशांत की इच्छा थी कि वे पौधे लगवाएं।

सुशांत की बहन श्वेता और नीलोत्पल ने इसे लेकर #Plant4SSR हैशटैग वायरल किया और लोगों से 1000 पौधे लगाने की अपील की। नतीजा ये हुआ कि फैंस ने 1 लाख से ज्यादा पौधे लगा दिए। सुशांत के इस बर्थ-डे पर वे दो ब्लाइंड बच्चों की दो साल के लिए पूरी जिम्मेदारी उठा रहे हैं, क्योंकि सुशांत ने उन बच्चों के स्कूल से वादा किया था।

सवालः क्या आप सुशांत को करीब से जानते थे?
जवाबः ​​​​​मैं सुशांत के कजिन नीरज बबलू का दोस्त हूं। मैंने अंतिम संस्कार में सुशांत को कंधा भी दिया था। उनके निधन के बाद जब पूरा परिवार मुंबई आया था, तो मैंने ही उन लोगों को एयरपोर्ट से रिसीव किया था। जिस इंसान को मैंने कंधा दिया और जब उसे इंसाफ नहीं मिला तो ये हमारी ड्यूटी है कि हम उसे इंसाफ दिलवाएं। मेरा और उनका रिश्ता हैशटैग और सोशल मीडिया से काफी ऊपर है। वो पटना में भी हमारे पड़ोसी थे। जब जांच के सिलसिले में बिहार पुलिस मुंबई आई थी, तो हमने उनको भी बहुत सपोर्ट किया था।

सवालः आपने किस तरह से सुशांत को लोगों के दिलों में जिंदा रखा है?
जवाबः जब सुशांत को न्याय नहीं मिल रहा था तो हमने सोशल मीडिया को आवाज उठाने का जरिया बनाया। एक सुशांत चला गया, लेकिन आज लाखों सुशांत उठ खड़े हुए हैं जो उसे न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। ट्विटर खोलेंगे तो आपको आज भी उसके नाम का हैशटैग दिख जाएगा।

सवालः सुशांत के ऑनलाइन कैंपेन कैसे शुरू हुए?
जवाबः ये शुरू ऐसे हुआ कि जब हमने देखा कि वर्ल्ड लेवल पर सुशांत के फैन सोशल मीडिया पर एक दूसरे के ट्वीट पर रिएक्ट करते थे, रीट्वीट करते थे, रिप्लाई करते थे। दुनियाभर में सुशांत के सारे फैन ट्वीटर और फेसबुक पर इकट्ठा हुए और उन्होंने हैशटैग को सपोर्ट कर और ट्रेंड करवाकर इंसाफ की मांग की।

इसका उद्देश्य ही यही है कि सुशांत न्याय का हकदार है। सुशांत सिर्फ पटना या बिहार का नहीं बल्कि इस देश का बेटा है, जिसने महिला सशक्तिकरण, केरल बाढ़, असम बाढ़, गरीब बच्चों का सपोर्ट किया है। उसने ये सारे काम कभी दिखाए नहीं। वो न्याय डिजर्व करता है।

सवालः क्या ये कैंपेन प्लानिंग के जरिए शुरू हुए या बस लोग जुड़ते गए?
जवाबः वेबसाइट immortalsushant.com में जुलाई 2020 से लेकर एक साल तक डेटा है जिसमें सुशांत के लिए जितने भी हैशटैग हैं, सब उसमें हर दिन के हिसाब से मेंशन हैं। #Plant4SSR कैंपेन के जरिए सुशांत के नाम एक लाख पेड़ लगाए गए थे, इस साइट में उस बात का भी जिक्र है।

सुशांत के नाम पर 1 लाख पेड़ लगाए गए हैं। उनके नाम पर एजुकेशन फॉर सुशांत नाम का भी एक कैंपेन चलाया जा चुका है। सुशांत अर्थ डे भी चलता है जिसमें दुनियाभर के लाखों लोगों ने उस दिन लाइट्स ऑफ रखी थीं।

सवालः सुशांत के कैंपेन मैनेज कौन करता है?
जवाबः इसमें मैनेज करने जैसा कुछ नहीं है, बस दुनियाभर के लोग सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग हैशटैग देखते हैं और साथ जुड़ते जाते हैं। वेबसाइड मैंने ही सुशांत की याद में बनाई थी।

सवालः क्या इन ऑनलाइन कैंपेन से केस में कोई बदलाव आया है?
जवाबः बदलाव आया है या नहीं, ये तो मैं नहीं बता सकता हूं, लेकिन इसके जरिए लोगों ने सुशांत के केस को जिंदा रखा है। एजेंसी क्या सोचती है ये तो सिर्फ एजेंसी के ही हाथों में है, लेकिन सुशांत जीवित है और फैंस के जरिए इंसाफ चाहता है और डिजर्व करता है।

सवालः इन ऑनलाइन कैंपेन में कितने लोग जुड़े हैं?
जबावः कितने लोग जुड़े हैं इस बात का सही डेटा मिलना तो मुश्किल है, लेकिन #SushantDay को करीब 10 मिलियन यानी 1 करोड़ लोगों ने ट्रेंड करवाया था। इसके अलावा भी जितने कैंपेन चलाए गए हैं उनमें कम-से-कम 30-40 लोग तो जुड़े ही थे। 3-4 मिलियन तो इनका एवरेज होता था। आज भी 1 लाख लोग रेगुलर ट्वीट करते हैं।

सवालः सुशांत की मौत पर जो अपडेट्स आते रहे हैं क्या आप उनसे संतुष्ट हैं?
जवाबः सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का अभी तक खुलासा हुआ ही नहीं है। उस रिपोर्ट को CBI को सौंप दिया गया है, लेकिन CBI ने इसे सुसाइड डिक्लेयर नहीं किया है। ये सिर्फ मीडिया चैनल में या टीवी के छोटे-मोटे स्टार के मुंह से ही सुना गया है। जब तक CBI इसे सुसाइड नहीं कहती, तब तक किसी की बात मायने नहीं रखती।

अगर CBI इसे सुसाइड मानती तो केस क्लोज कर दिया जाता और ऐसा नहीं हुआ तो लोगों की उम्मीदें बंधी हुई हैं।

सुशांत के निधन को ढाई साल हो गए हैं, CBI ने अभी तक कोई भी क्लोजर रिपोर्ट नहीं दी है। इसका मतलब है कि कोई बात जरूर है, जिस वजह से फैसला आने में देरी हो रही है।

सवालः सुशांत की मौत को कॉन्स्पिरेसी बताया जा रहा, आप क्या सोचते हैं?
जवाबः सुशांत अपनी जिंदगी में एक कामयाब इंसान था। जब ये केस हुआ था तब उनके बैंक अकांउट में 4 करोड़ रुपए थे। उन पैसों से सुशांत अपना जीवन काफी अच्छे से काट सकता था। बड़े ब्रांड एंडोर्समेंट थे तो उनके पास ऐसी कोई वजह नहीं थी कि वो ऐसा कोई कदम उठाए। ये सब एजेंसी ही बेहतर बताएगी, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि एक ऐसा आदमी जिसने 11 फिल्में की हैं, 4 ब्लॉकबस्टर दी हैं। अगर इतनी बड़ी हस्ती को न्याय नहीं मिलता है तो इस देश में एक आम आदमी को कैसे न्याय मिलेगा।

सवालः कूपर अस्पताल के कर्मचारी ने कहा है कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं की, इस पर क्या कहना है?
जवाबः जी हां, रूपकुमार शाह ने जो दावा किया, वो उन्हें एक साल पहले करना चाहिए था। शायद वो उस समय सरकार से डर गए हों, या सुरक्षा का डर हो, लेकिन जब वो सामने से बोल रहे हैं तो उन्हें CBI ऑफिस जाकर अपना बयान दर्ज करवाना चाहिए। ना कि इंतजार करना चाहिए कि कोई आकर उनका बयान ले। CBI के ऑफिस इंडिया के हर राज्य में हैं, उन्हें खुद जाकर बयान दर्ज करवाना चाहिए, जिससे केस में मदद मिले।

सवालः आपकी नजर में सुशांत को न्याय कैसे मिलेगा?
जवाबः सुशांत के साथ नाइंसाफी इंडस्ट्री ने की है। जिस इंडस्ट्री से वो था, उस इंडस्ट्री ने घुटने टेक दिए हैं। आप देख सकते हैं कि लोग इंडस्ट्री का बायकॉट कर रहे हैं। होना यही चाहिए कि दोबारा कोई सुशांत न बने। जो भी दोषी है उसे ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि कोई दोबारा ऐसी नाइंसाफी करने से पहले सौ बार सोचे। वो जिस इंडस्ट्री का हिस्सा थे उसका आज क्या हाल है वो किसी से छिपा नहीं है। सुशांत के लिए इंसाफ ये होगा कि सुशांत जैसा अब किसी दूसरे व्यक्ति के साथ न हो।

सवालः अगर CBI ने भी इसे सुसाइड ही माना तो क्या होगा?
जवाबः लोगों को सिस्टम से निराशा होगी, आक्रोश होगा। जस्टिस मांगने वाले आम लोग हैं, ज्यादा कुछ नहीं कर सकेंगे, लेकिन उनका भरोसा देश, सिस्टम और सरकार से उठ जाएगा। इंडस्ट्री को आज बिना न्याय मिलने पर बायकॉट किया जा रहा है, अगर न्याय नहीं मिला तो सोचिए इंडस्ट्री का क्या हाल होगा, क्योंकि इस केस से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं। लोग सुशांत को अपने बच्चों में देखते हैं, सोचिए सुशांत रोज ट्रेंड करते हैं और अगर जस्टिस नहीं मिला और रोज करीब 2 लाख लोगों ने किसी चीज का बायकॉट किया तो किस तरह का माहौल होगा।

सवालः कैंपेन चलाने के लिए फंडिंग कहां से होती है?
जवाबः इस कैंपने के लिए आज तक कोई बड़ी फंडिंग नहीं हुई है। देश के हर कोने से लोग इस कैंपेन का हिस्सा हैं। समय-समय पर वो अपनी इच्छा से सुशांत की याद में कुछ ना कुछ करते हैं। कभी कोई पेड़ लगा देता है, कभी कोई सुशांत की फिल्म शूटिंग लोकेशन पर वाटर प्लांट लगवा देता है।

सवालः आप सुशांत की बर्थ एनिवर्सरी पर क्या करने वाले हैं?
जवाबः 21 जनवरी को सुशांत की बर्थ एनिवर्सरी पर हमने रांची के एक ब्लाइंड स्कूल के दो बच्चों के लिए फूड और बाकी चीजों को स्पॉन्सर करा दिया है। ये वादा सुशांत ने स्कूल के बच्चों से किया था जो हमने उनकी तरफ से पूरा किया। साथ ही जरूरतमंदों को कम्बल भी बांट रहे हैं। 21 जनवरी को हमने मुंबई में प्रेयर मीट भी रखी है। हम सुशांत को हर अच्छे काम के जरिए याद कर रहे हैं।

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