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150 साल पुराना पुल टूटा: क्या खत्म हो रही है ऐतिहासिक पहचान?

कानपुर में स्थित 150 साल पुराने ऐतिहासिक गंगापुल का एक हिस्सा मंगलवार की सुबह ढह गया। अंग्रेजों के जमाने में सन् 1875 में निर्मित यह पुल अपनी अनूठी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता था। पुल के टूटने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

गंगा नदी में गिरी पुल की संरचना:
कानपुर की ओर पुराने गंगापुल का नौ और दस नंबर कोठी के बीच का हिस्सा सुबह के समय अचानक गंगा नदी में गिर गया। गंगा स्नान के लिए पहुंचे लोगों ने जब इस क्षति को देखा, तो अफरा-तफरी मच गई। खबर फैलने के बावजूद घटनास्थल पर अब तक किसी विभागीय अधिकारी की उपस्थिति दर्ज नहीं हुई है।

जर्जर स्थिति के चलते पहले से था बंद:
यह पुल 146 वर्षों तक यातायात के लिए उपयोग में रहा। अप्रैल 2021 में इसे जर्जर घोषित करते हुए यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता मुकेश चंद्र शर्मा की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने पुल को बंद करने का आदेश दिया था।

दो मंजिला पुल की अद्वितीय संरचना:
यह पुल दो मंजिला था, जिसमें नीचे पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों के लिए रास्ता था, जबकि ऊपर गाड़ियां चलती थीं। यह पुल न केवल यातायात के लिए बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था।

फिल्मी जगत में गंगापुल का महत्व:
इस ऐतिहासिक पुल पर कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। इसके अलावा, “कानपुर कनकैया, नीचे बहती गंगा मैया” जैसी प्रसिद्ध उक्ति भी इसी पुल से जुड़ी है।

संरक्षण या विध्वंस पर निर्णय लंबित:
पिछले कुछ वर्षों से पुल के संरक्षण की मांग की जा रही थी। लेकिन इसे संरक्षित किया जाएगा या तोड़ा जाएगा, इस पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

इतिहास की धरोहर:
गंगापुल का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था और यह कानपुर को उन्नाव से शुक्लागंज के जरिए जोड़ता था। इस पुल का ऐतिहासिक महत्व और इसकी अनूठी वास्तुकला इसे क्षेत्र की पहचान बनाते हैं।

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