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24 हजार टन सोना पहनती हैं भारतीय महिलाएं:1947 में दिल्‍ली-मुंबई फ्लाइट टिकट 10KG सोने से ज्यादा, 20 साल में 10 गुना महंगा

मकर संक्रांति के बाद से खरमास खत्म होते ही लग्न मुहुर्त शुरू हो गया है। देश में शादियों का माहौल है। देश के बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत और बिजनेसमैन वीरेन मर्चेंट की बेटी राधिका की बीते 19 जनवरी को सगाई हुई। खास बात यह रही कि एंगेजमेंट सेरेमनी में रिंग उनका डॉग लेकर पहुंचा, जो सभी के लिए सरप्राइज रहा।

अंबानी परिवार के छोटे बेटे अनंत अंबानी की मंगेतर राधिका मर्चेंट का जुड़ाव पहले से ही उद्योग घराने से रहा है।

इससे पहले मेहंदी की रस्म के दौरान राधिका मर्चेंट ने पिंक कलर के लहंगे के साथ ‘रानी हार’ पहन रखा था, जो उन्हें बेहद खूबसूरत लुक दे रहा था।

अब तो कई बॉलीवुड एक्ट्रेस भी अपनी शादी में ‘रानी हार’ पहनना पसंद करती हैं। सोनम कपूर, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा और ऐश्वर्या राय भी ऐसा कर चुकी हैं। हाल ही में मिस यूनिवर्स पीजेंट में हिस्सेदारी करने वाली दिविता राय ने सोने की चिड़िया बनकर सुर्खियां बटोरीं।

कहने का मतलब है कि देश में शादी का सीजन शुरू होते ही ज्वेलरी की खरीदारी करने, पहनने और गिफ्ट देने का दौर चल पड़ा है।

दरअसल, राजस्थानी कल्चर से जुड़े ‘रानी हार’ जैसी ज्वेलरी आमतौर पर रानियां और राजकुमारियां पहना करती थीं।

जन्म से लेकर मरने तक भारतीय संस्कृति में सोने की अहमियत

हिंदू परंपराओं में 16 संस्कारों के तहत पैदा होने से लेकर मरने तक में सोने के इस्तेमाल की अहमियत रही है। बच्चा जब जन्म लेता है तो उसे कमर पर सोने की ‘लटकन’ पहनाई जाती है। यज्ञोपवीत संस्कार के वक्त, शादी में मायके से बेटी के लिए और घर में पहला कदम रखने पर सास अपनी बहू को सोने के नए-पुराने जेवर देती है। यही नहीं, 16 संस्कारों में अंतिम यानी मृत्यु के बाद महापात्र को दान भी स्वर्ण का ही किया जाता है।

यही वजह है कि हर शुभ मुहूर्त, शादी, त्‍योहार पर सोना खूब खरीदा-बेचा जाता है। जहां मैरिज फंक्शन में अमेरिका और यूरोप में 9 कैरेट की गोल्डन रिंग से ही काम चल जाता है, वहीं भारतीयों में 24 कैरेट यानी शुद्ध सोने की हद दर्जे तक दीवानगी है।

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि हमारे देश में महिलाएं कितना सोना पहनती हैं-

22 हजार टन सोना पहनती हैं भारतीय महिलाएं, 5 देशों के कुल स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) से भी ज्यादा

त्योहार हो या शादी, हर मौके पर भारतीय महिलाओं को ज्वेलरी पहनना बेहद पसंद है। इस बात को वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) भी मान चुकी है। WGC की मई, 2019 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय महिलाओं के पास ज्वेलरी के रूप में 22 हजार टन सोना जमा था। यह दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना माना गया।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारतीय महिलाएं दुनिया के कुल गोल्ड रिजर्व का 11 प्रतिशत हिस्सा आभूषणों के रूप में पहनती हैं।

यह विश्व के 5 टॉप देशों के कुल सोने के भंडार से भी अधिक है, जिसमें अमेरिका (8,000 टन), जर्मनी (3,300 टन), इटली (2,450 टन), फ्रांस (2,400 टन) और रूस (1,900 टन) जैसे बड़े देश आते हैं। दक्षिण भारतीयों का देश की कुल ज्वेलरी खरीदारी में 40 फीसदी हिस्सा है। अकेले तमिलनाडु में यह औसत 28 फीसदी है।

महिलाओं के बाद भारतीय मंदिरों में सबसे ज्यादा सोना

महिलाओं के बाद भारतीय मंदिर में सबसे ज्यादा सोना पाया गया। ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल’ की रिपोर्ट-2020 के मुताबिक, भारतीय महिलाओं के पास 24 हजार टन स्वर्ण भंडार है, इसके बाद 4 हजार टन सोना मंदिरों में है। अकेले केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 1,300 टन सोना और आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में 250-300 टन सोना दर्ज है। ये सोना सदियों से भक्त अपने देवी-देवताओं को स्वर्ण आभूषणों सहित कई रूपों में दान करते आ रहे हैं।

7 हजार साल पहले हड़प्पाई महिलाएं पहनती थीं सोने के आभूषण

हड़प्पा सभ्यता में भी पुरुष और महिलाओं दोनों में गोल्ड ज्वेलरी का क्रेज था, ऐसा कई साक्ष्यों से पता चला है। मई 2022 में हड़प्पाई स्थल राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान सोने के कड़े, बाली समेत कई आभूषण मिले। कई अन्य स्थलों से तो चूड़ियां, लटकन, हार, अंगूठी, झुमके भी मिले, जिनसे पता चलता है कि गोल्ड ज्वेलरी को लेकर भारतीय सदियों से क्रेजी रहे हैं।

दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में भी सृष्टि की उत्पत्ति हिरण्यगर्भ नामक सोने के अंडे रूपी बीज से मानी गई है। शायद यही वजह है कि भारतीयों को गोल्ड से इतना लगाव है।

चीन के बाद दुनिया में गोल्ड का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार भारत

जुलाई 2022 में घरेलू करेंसी पर दबाव कम करने और गोल्ड के इंपोर्ट को कम करने के लिए सोने पर आयात शुल्क 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया था।

ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि साल 2021-22 में देश में सोने के आयात में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। सोने के कुल आयात की कीमत करीब 37,44 अरब रुपए (46.14 बिलियन डॉलर) थी।

सोने का सबसे बड़ा खरीदार बन सकता है भारत

यहां बता दें कि गोल्ड खरीदने के मामले में दुनिया में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर आता है। सोने की डिमांड के पीछे बड़ा हाथ भारतीयों का है, क्योंकि भारत की बड़ी आबादी सोना किसी न किसी रूप में पहनती या इस्तेमाल करती है, जिस वजह से भी सोने के भाव सातवें आसमान पर हैं। भारत में हर घर में नए मेहमान के आने पर उसके लिए सोने के आभूषण बनाए जाते हैं। अगले कुछ साल में भारत सबसे ज्यादा आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। ऐसे में भारत अगर कुछ समय बाद सोने का सबसे बड़ा खरीदार देश बन जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

आजादी के बाद से ऐसे बढ़े सोने के भाव, आज 58 हजार प्रति 10 ग्राम से भी ज्यादा

आजादी के समय, भारत में सोने का भाव 88.62 रुपए था। 1964 में सोना सबसे सस्‍ता था। उस वक्‍त 10 ग्राम सोना सिर्फ 63.25 रुपए में बिकता था। आज सोना 58 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम से ज्‍यादा के भाव पर बिक रहा है।

भारी मात्रा में आयात के चलते, तेल की तरह सोने की कीमतें भी अंतरराष्‍ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं।

सोने और महंगाई का चोली-दामन का साथ है मगर थोड़े अलग अर्थ में। जब महंगाई बढ़ती है तो सोने के दाम गिरते हैं। 1942 में जब दूसरा विश्‍वयुद्ध और देश में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चरम पर था, सोने का भाव 44 रुपए प्रति 10 ग्राम था। आजादी के वक्‍त, 1947 में सोने का भाव 88.62 रुपए हुआ करता था। स्‍वतंत्रता के बाद सोने की कीमत में सबसे बड़ी गिरावट आई 1964 में। उस वक्‍त 10 ग्राम सोना सिर्फ 63.25 रुपए में बिक रहा था।

75 साल में देश में सोने के भाव पर एक नजर

इंडियन पोस्‍ट गोल्‍ड कॉइन सर्विसेज के अनुसार, 1947 में 10 ग्राम एक तोले सोने का भाव 88.62 रुपए था। उस वक्‍त दिल्‍ली से मुंबई तक की फ्लाइट का किराया 10 किलो सोने के रेट से ज्‍यादा था। इस तारीख से महज 5 साल पहले, 1942 में सोने का भाव 44 रुपए प्रति 10 ग्राम हुआ करता था। आजादी के साथ ही सोने के दाम बढ़ने लगे। 1950 से 60 के दशक में सोने पर करीब 12% का रिटर्न मिला।

1970 में 10 ग्राम सोने का औसत मूल्‍य 184 तक पहुंच गया। 1980 में यह 1,330 रुपए हुआ और 1990 आते-आते 3,200 रुपए को पार कर गया। HDFC सिक्‍योरिटीज के अनुसार, 2000 से 2010 के बीच सोने का रेट 4,400 से बढ़कर 18,500 हो गया। अगले दशक में कीमतें तिगुने से भी ज्‍यादा हो गईं। 2021 में सोने का औसत भाव 48,720 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा।

हमने भारतीय महिलाओं में सोने का क्रेज और इतिहास के साक्ष्यों के बारे में पढ़ा। अब, असल जीवन में ज्वेलरी की खरीदारी करते वक्त ध्यान रखने वाली बातें जान लेते हैं।

सोने के गहने कभी 100% शुद्ध नहीं हो सकते, जानिए इसकी वजह

सोना पुराना हो या फिर नया, बहुमूल्यता के मामले में यह लोगों की पहली पसंद सदियों से रहा है। हालांकि, सोना कितना ही खरा क्यों न हो, वह 100% शुद्ध नहीं हो सकता।

दरअसल, सोना इतना सॉफ्ट मेटल है कि बिना मिलावट के उसके गहने बन ही नहीं सकते। यही वजह है कि सोने की शुद्धता मापने की यूनिट कैरेट के हिसाब से तय होती है। 24 कैरेट का सोना भी 99.9 फीसदी ही शुद्ध माना जाता है। आम तौर पर गहने 22, 18 या 14 कैरेट के बनवाए जाते हैं। इसकी शुद्धता की गणना ऐसे करते हैं – 22 कैरेट यानी 22/24×100 यानी 91.66 फीसदी सोने की शुद्धता है।

असली के चक्कर में नकली ज्वेलरी, कहीं आप तो नहीं हुए शिकार?

आजकल कम कैरेट वाले सोने के आभूषणों में डिजाइन की वजह से ज्यादा टांके लगते हैं। लेकिन तैयार गहने के वजन में कैरेट के हिसाब से कीमत वसूली जाती है। बड़े-बड़े विज्ञापनों के जरिए महिलाओं को लुभाते हैं कि वे अपने पुराने सोने को लेकर आएं और नए डिजाइन का गहना ले जाएं। इसमें मेकिंग चार्ज भी नहीं लगेगा।

सिर से हुई सोने की बारिश, मानव मल की तरह पेस्ट बनाकर छिपाया सोना

चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट कस्टम ऑफिसर्स ने दुबई से आए 14 संदिग्ध यात्रियों का जब मुंडन कराया तो सिर से सोने की बारिश हो गई। यात्रियों ने विग पहनी थी, जिनके नीचे गोल्ड पेस्ट के रूप में सोना छिपा था। जब तस्कर सोने का पेस्ट बनाकर लाते हैं तो यह देखने में बिल्कुल मानव मल जैसा लगता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पेस्ट मेटल डिटेक्टर में पकड़ में नहीं आता।

दिल्ली में राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने सोने की एक बड़ी खेप पकड़ी थी। 166 ग्राम की 400 गोल्ड छड़ों की शक्ल में बरामद हुई, जिसका वजन 66.4 किलो और कीमत 35 करोड़ रुपए निकली। यह सोना भारत-म्यांमार सीमा से तस्करी कर ट्रक के फ्यूल टैंक में छिपाकर पंजाब ले जाया जा रहा था।

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