- टिहरी बांध की झील में आयोजित रोइंग प्रतियोगिता में देशभर से 19 प्रदेशों और एसएससीबी के 210 खिलाड़ियों का भागीदारी
- प्रतियोगिता में 114 पुरुष और 96 महिला खिलाड़ी शामिल, कुल 210 खिलाड़ियों का ऐतिहासिक योगदान
- 17 टीमों के कोच भारतीय सेना के सूबेदार, खिलाड़ियों को मिली विशेषज्ञ मार्गदर्शन
- टिहरी बांध की खूबसूरत झील में खेल प्रतियोगिता का रोमांचक माहौल
- प्रतियोगिता में सेना के सूबेदारों की भूमिका, खेलों में देशभर के खिलाड़ियों को मिल रहा नया उत्साह
टिहरी : भारतीय सेना के जवान देश की सरहद पर मातृभूमि की रक्षा में तो जुटे ही हैं, साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी अपने प्रदर्शन से देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इन जवानों ने न केवल सुरक्षा में बल्कि खेलों में भी द्रोणाचार्य की भूमिका निभाते हुए खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है और उन्हें स्वर्ण पदकों की ओर अग्रसर किया है।
इस समय टिहरी बांध की झील में आयोजित राष्ट्रीय खेल के तहत रोइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देशभर से 19 प्रदेशों और एसएससीबी के 210 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें 114 पुरुष और 96 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इन खिलाड़ियों को सेना के जवानों ने ही प्रशिक्षण दिया है, जो आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल क्षमता से लोहा मनवा रहे हैं।
17 टीमों के कोच भारतीय सेना के सूबेदार
प्रतियोगिता में 17 टीमों के कोच भारतीय सेना के सूबेदार हैं। इनमें से कुछ अभी भी भारतीय सेना का हिस्सा हैं, जबकि कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन खेलों के प्रति उनके समर्पण में कोई कमी नहीं आई है। इन कोचों ने खिलाड़ियों को न केवल तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत किया है।
सूबेदार चंदा चहल का योगदान
हरियाणा प्रदेश की टीम के कोच सूबेदार चंदा चहल ने बताया कि वे पिछले दस सालों से रोइंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने खिलाड़ियों को सोने की तरह निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी अकादमी से प्रशिक्षित कई खिलाड़ी एशियन गेम्स में दो गोल्ड, 37वें राष्ट्रीय खेलों में दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज जीत चुके हैं। इसके अतिरिक्त, नीदरलैंड में आयोजित वर्ल्ड यूनिसिन में भी उनके खिलाड़ियों ने पांच पदक जीते हैं।
सूबेदार विकल सार्वे और गुरु प्रताप सिंह का योगदान
महाराष्ट्र टीम के कोच सूबेदार विकल सार्वे ने 2016 से रोइंग प्रतियोगिता का प्रशिक्षण देना शुरू किया। उन्होंने बताया कि सेना में भर्ती होने के बाद उन्हें रोइंग के लिए चुना गया, जो उनके लिए एक सुनहरा मौका था। वे पिछले आठ साल से रोइंग फेडरेशन के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं, और उनकी मेहनत का नतीजा है कि कई खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले चुके हैं।
पंजाब के रहने वाले और महाराष्ट्र की टीम से खेलने वाले गुरु प्रताप सिंह ने गोवा में हुए पिछले राष्ट्रीय खेलों में दो गोल्ड और एक सिल्वर जीते हैं। वे पिछले छह सालों से रोइंग प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं और खेलों में अपनी धाक जमा चुके हैं।
बेटियों को निशुल्क प्रशिक्षण
सूबेदार चंदा चहल का कहना है कि वे पिछले दस सालों से बेटियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि महिलाएं भी इस खेल में आगे आएं। उनकी अकादमी से कई बेटियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं और वे अब भी प्रेरित कर रही हैं।