लखनऊ 18 मार्च। राधा रानी के ग्राम बरसाना में लडडूमार (लड्डू) होली के अगले दिन आज सोमवार 18 मार्च को लट्ठमार होली धूमधाम से मनायी गयी। नंदगांव में कृष्ण व उनके सखा के रूप में गोस्वामी समाज के हुरयारे लट्ठमार होली खेलेने के लिए बरसाना आए हैं। यहां पर महिलाएं (हुरियारिन) जो राधा की सखी स्वरूप में हैं, रंग, गुलाल, मिठाई के अलावा लट्ठ मारकर हुरियारों का स्वागत किया। हुरियारे लाठियों से बचने के लिए ढाल लेकर आते हैं। सभी हुरियारे व हुरियारिनें ब्रज की पुरानी परंपरागत बेषभूषा में सजकर आती हैं।
पयर्टन विभाग, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद व प्रशासन की ओर से राधा बिहारी इंटर कॉलेज और अन्य स्थानों पर 17 मार्च से ही कई स्थानों पर सांस्कृतिक मंच बनाए गए है, जिसमें प्रसिद्ध कलाकार होली के कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं। बरसाना और मथुरा होलीमय हो गया है। यहाँ हर तरफ होली के गीतों की धूम है।
लट्ठमार होली देखने देश- विदेश से आ रहे लाखों पर्यटक
होली का पर्व देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी बरसाना में होली का पर्व अलग ही अंदाज में मनाया जाता है। फूलों की होली के साथ शुरू हुआ ये त्योहार रंगों की होली के साथ समाप्त होता है।
देश-विदेश से लोग मथुरा व वृंदावन के अलावा बरसाना पहुंचे हैं।
होली के इस पर्व में आज रंगीली गली से लेकर श्रीजी मंदिर तक लट्ठमार होली खेली गयी। बरसाना के बाद अब फाल्गुन दशमी 19 मार्च को नंदगाँव के नंद भवन में लट्ठमार होली खेली जाएगी।
20 मार्च को वृंदावन में रंगभरनी एकादशी को बिहारी जी मंदिर में रंग डाला जाएगा।
21 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली होगी। इसी दिन बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली होगी। 24 मार्च को द्वारकाधीश मंदिर में होली होगी। वहीं मथुरा के होलीगेट पर रात्रि में होलिका दहन होगा।
25 मार्च को पूरे ब्रज में होली का उत्सव (धुलेंडी) मनाया जाएगा। 26 मार्च को दाऊजी के विशाल मंदिर में हुरंगा होगा।
26 मार्च को जाब का हुरंगा व 27 को गिडोह व बठैन में होली खेली जाएगी जबकि 31 मार्च को छड़ीमार होली पुरानी महावन में और एक अप्रैल को श्रीरंग जी मंदिर वृंदावन में होली के साथ समापन होगा।
व्यापक स्तर पर की गई हैं तैयारियां
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा ने रंगोत्सव-2024 की तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। बरसाना में सात मंच बने हैं। कई स्थानों पर आकर्षक सेल्फी प्वाइंट बनाए गये हैं। साथ ही वाहन पार्किंग, सुरक्षा, पेयजल, मोबाइल टायलेट तथा सफाई की व्यापक व्यवस्था की गयी है।
क्या है मान्यता है ?
बरसाना में भगवान कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेली थी तभी से यह परंपरा शुरू हुई।