माफिया मुख्तार अंसारी के फर्जी लाइसेंस मामले में आज फैसला आएगा। वर्ष 1990 में गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में माफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट में आरोपी मुख्तार अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी लिखित बहस के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की रूलिंग भी दाखिल कर चुके हैं।
फर्जीवाड़ा कर गाजीपुर में दोनाली बंदूक का लाइसेंस लेने के मुख्तार अंसारी के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी। इससे पहले कोर्ट ने गत मंगलवार को दोनों पक्षों की बहस सुनने के साथ रूलिंग से संबंधित सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फैसले के लिए 12 मार्च की तिथि नियत कर दी थी।
कोर्ट में आरोपी मुख्तार अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी लिखित बहस के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की रूलिंग भी दाखिल कर चुके हैं। अभियोजन की ओर से अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला और एडीजीसी विनय सिंह ने भी रूलिंग दाखिल की है।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप है कि उसने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था।
फर्जीवाड़ा उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत 10 गवाहों का बयान दर्ज किया जा चुका है।