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किन्नर अखाड़े का ऐतिहासिक फैसला: ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का निष्कासन

  • किन्नर अखाड़े का कड़ा कदम: ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े से बाहर किया गया।
  • महाकुंभ मेले में दीक्षा का विवाद: ममता कुलकर्णी को दीक्षा दिलाकर महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया को अखाड़े ने रद्द किया।
  • महामंडलेश्वर का विवाद: लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का पद भी अखाड़े द्वारा समाप्त किया गया।
  • अखाड़े की सफाई: यह कदम अखाड़े के अनुशासन और परंपराओं को बनाए रखने के लिए उठाया गया।

किन्नर अखाड़े के प्रमुख अजयदास ने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पद से हटा दिया है। किन्नर अखाड़े ने उन्हें और ममता कुलकर्णी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। यह कदम नियमों के खिलाफ जाकर कार्य करने के कारण उठाया गया है।

अजयदास ने खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताते हुए कहा कि इस फैसले के पीछे अखाड़े की परंपराओं और अनुशासन का पालन सुनिश्चित करना है।

विवाद और घटनाक्रम:
  • ममता कुलकर्णी का विवाद: 25 साल बाद विदेश से मुंबई लौटीं ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ जाने का ऐलान किया और 28 जनवरी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बना दी गईं। उनका नाम बदलकर ममता नंदगिरी रखा गया था और उनका पट्टाभिषेक भी हुआ।
  • आध्यात्मिक विरोध: ममता के महामंडलेश्वर बनने पर कई संतों और आध्यात्मिक नेताओं ने विरोध जताया। उनका कहना था कि ऐसे प्रतिष्ठित पद के लिए वर्षों का अनुशासन और समर्पण जरूरी है, जबकि ममता को एक ही दिन में यह पद दे दिया गया।
  • महाकुंभ में आयोजन: ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद किन्नर अखाड़े में एक बड़ा आयोजन किया गया था। उन्हें साध्वी के कपड़े पहनाकर दूध से नहलाया गया था।
  • रामदेव का विरोध: इस फैसले के खिलाफ योग गुरु रामदेव भी सामने आए थे।

किन्नर अखाड़े का यह फैसला उसकी परंपराओं को बनाए रखने और अनुशासन को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। इस निर्णय से किन्नर अखाड़े की आंतरिक स्थिति और भविष्य में होने वाले आयोजनों पर प्रभाव पड़ेगा।

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