सुपरफास्ट पिनाका: मात्र 4 सेकेंड में रॉकेट लॉन्च करने की क्षमता, फायर होने के बाद रोकना असंभव!
भारत ने एक और बड़ी रक्षा सफलता हासिल करते हुए, पिनाका रॉकेट हथियार प्रणाली के उड़ान परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस परीक्षण के दौरान रॉकेटों के व्यापक परीक्षणों के माध्यम से ‘प्रोविजनल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट’ (पीएसक्यूआर) के मापदंडों का मूल्यांकन किया गया। इन परीक्षणों में रेंजिंग, सटीकता, स्थिरता और सैल्वो मोड में कई लक्ष्यों पर निशाना साधने की दर को परखा गया।
पिनाका रॉकेट सिस्टम की विशेषताएँ
पिनाका रॉकेट हथियार प्रणाली की मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। अब यह 75 किलोमीटर दूर तक 25 मीटर के दायरे में सटीक निशाना लगा सकता है। इसके अलावा, इसकी गति 1000-1200 मीटर प्रति सेकंड है, यानी यह एक सेकेंड में एक किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। फायर होने के बाद इसे रोकना नामुमकिन है। पहले पिनाका की रेंज 38 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 75 किलोमीटर हो गई है।
पिनाका की प्रमुख विशेषताएँ
- पिनाका एक मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम है जिसमें दो पॉड्स होते हैं और एक बैटरी में छह लॉन्च वाहन होते हैं।
- यह 44 सेकंड के भीतर साल्वो मोड में सभी 12 रॉकेटों को फायर कर सकता है, यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट।
- यह सिस्टम लोडर, रडार और नेटवर्क आधारित सिस्टम के साथ एक कमांड पोस्ट से जुड़ा होता है।
परीक्षण और पुष्टि
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पीएसक्यूआर वेलिडेशन टेस्ट के तहत पिनाका हथियार प्रणाली के उड़ान परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया। कुल 12 रॉकेटों का परीक्षण दो अपग्रेडेड पिनाका लांचर से किया गया है।
सेना की ताकत में वृद्धि
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की और कहा कि पिनाका रॉकेट सिस्टम के सफल परीक्षण से भारतीय सेना की तोपखाने की मारक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
अंतरराष्ट्रीय रुचि
पिनाका रॉकेट लॉन्चर को अमेरिका के हिमर्स सिस्टम के समकक्ष माना जा रहा है और यह भारत का प्रमुख रक्षा निर्यात बन चुका है। आर्मेनिया ने इस सिस्टम का पहला ऑर्डर दिया था और अब फ्रांस भी इस रॉकेट सिस्टम में रुचि दिखा चुका है।
चीन-पाकिस्तान पर प्रभाव
पिनाका रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल भारतीय सेना पहले से ही चीन और पाकिस्तान सीमा पर कर रही है। इसकी क्षमता में वृद्धि से चीन और पाकिस्तान की रणनीतिक चिंताएँ और भी बढ़ सकती हैं।
यह सफल परीक्षण भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, जो भविष्य में भारत की रक्षा सामर्थ्य को और सशक्त बनाएगा।