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“जगतगुरु कृपालु महाराज की बेटी डॉ विशाखा पंचतत्व में विलीन “

अंतरराष्ट्रीय धर्म प्रचारक और प्रसिद्ध प्रेम मंदिर वृंदावन व भक्ति धाम मानगढ़ कुंडा प्रतापगढ़ के संस्थापक जगद्गुरु कृपालु महाराज की बड़ी बेटी विशाखा त्रिपाठी का आज गुरुवार की सुबह वृंदावन में गमगीन माहौल में यमुना तट पर अंतिम संस्कार किया गया।

उनकी अंतिम यात्रा में देश विदेश से आए हजारों भक्त हरिनाम संकीर्तन करते हुए शामिल हुए।

डाक्टर विशाखा त्रिपाठी का गत रविवार की सुबह दिल्ली जाते समय यमुना एक्सप्रेसवे पर सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। इस इस दुर्घटना में कृपालु महाराज की दो बेटी श्याम त्रिपाठी और कृष्णा त्रिपाठी समेत सात अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे

ज्ञात हो कि अंतर्राष्ट्रीय धर्म प्रचारक जगद्गुरु कृपालु महाराज की मृत्य (2013) के बाद उनकी बड़ी पुत्री डाक्टर विशाखा त्रिपाठी जगद्गुरु कृपालु परिषत की चेयरपर्सन नियुक्त की गई थी और उनकी देखरेख में ही वृंदावन,बरसाना और मनगढ़ के मंदिरों,धर्मार्थ चिकित्सालय और स्कूल की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही थी।

रविवार की सुबह करीब तीन बजे डाक्टर विशाखा त्रिपाठी अपनी दोनों छोटी बहनों श्यामा त्रिपाठी और कृष्णा त्रिपाठी के साथ सिंगापुर जाने के लिए कार से दिल्ली एयरपोर्ट जा रही थी कि उससे पहले ही यमुना एक्सप्रेस वे पर नोएडा दनकौर के समीप एक अनियंत्रित कैंटर उनकी गाड़ी पर पलट गया था जिसमें डाक्टर विशाखा त्रिपाठी की मौके पर ही मौत हो गई थी।

इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को प्रेम मंदिर के पिछले हिस्से में बने प्रेम सत्संग भवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज गुरुवार सुबह गमगीन माहौल में उनकी अंतिम यात्रा प्रेम मंदिर से शुरू हुई ,जिसमें हजारों की संख्या में शोकाकुल अनुयाई बिलखते हुए हरिनाम संकीर्तन करते अंतिम यात्रा में शामिल हुए ।

फूलों से सजे शव वाहन में उनके भाई और भतीजा बैठे हुए थे। करीब चार घंटे से अधिक समय तक वृंदावन शहर में भ्रमण के बाद शवयात्रा यमुना तट पर पहुंचे जहां उनके भतीजे रामानुज ने वैदिक रीति से मुखाग्नि दी।

इस दौरान हजारों भक्त हरिनाम संकीर्तन करते कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है

इस मौके पर प्रेम मंदिर के प्रवक्ता अजय त्रिपाठी ने कहा कि बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए दीदी को चाहने वाले भक्त उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए हैं और उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके बताए बताए सेवा भाव के रस्ते पर चलने का संकल्प लिया है ।

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