प्रयागराज- भारतीय रेलवे में कार्यरत लोको पायलट की समस्याओं को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पुरजोर तरीके से उठाया था। इसके बाद से ही लगातार रेलवे की ओर से इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। रेलवे द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए रेलवे के अधिकारी मीडिया से भी रुबरु हो रहे हैं। नार्थ सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने रविवार को मीडिया कर्मियों के साथ प्रयागराज मंडल के प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन पर स्थित लोको पायलट लॉबी का भ्रमण किया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि ट्रेनों की संचालन के लिए लोको पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए यह जरूरी है कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। उनके मुताबिक लोको पायलट क्वालिटी रेस्ट के बाद ही ट्रेनों का संचालन करें इसे भी सुनिश्चित कराया जा रहा है। यह देखा जाता है कि लोको पायलट नियमों की सारी जानकारी कर ही ट्रेन के इंजन पर जाएं और अपनी ड्यूटी शुरू करें। सीपीआरओ के मुताबिक पहले रेल इंजन में टॉयलेट की व्यवस्था नहीं होती थी। लेकिन अब रेल इंजन में टॉयलेट लगाए जा रहे हैं। नॉर्थ सेंटर रेलवे में 80 रेलवे इंजन में रेट्रो फिटिंग के जरिए टॉयलेट लगा दिया गया है। जबकि अन्य इंजनों में भी टॉयलेट लगाए जाने के लिए टेंडर किया गया है जिसे जल्द लगा दिया जाएगा।

सीपीआरओ के मुताबिक मानक यह है कि एक लोको पायलट 15 दिन में 104 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि प्रयागराज लॉबी का जो एवरेज है वह 80 से 90 घंटे है। जो कि 104 घंटे से काफी कम है। उनके मुताबिक एक लोको पायलट को एक दिन में लगभग 6 घंटे कार्य करना होता है। खासतौर पर मेल एक्सप्रेस पैसेंजर और जो प्रीमियम ट्रेनें हैं उसमें लोको पायलट को 6 घंटे से ज्यादा कार्य नहीं करना पड़ रहा है। इसके अलावा गुड्स ट्रेन में भी लोको पायलट को 9 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं करनी होती है। लोको पायलट को हर ट्रिप के बाद अपने हेड क्वार्टर पर 16 घंटे का रेस्ट अनिवार्य रूप से दिया जाता है। इसके अलावा लोको पायलट को एक महीने में 30 घंटे के चार रेस्ट भी दिए जाते हैं। इसके अलावा छुट्टियां व अन्य रेस्ट भी उनको दिए जाते हैं। हेडक्वार्टर से बाहर रहने पर लोको पायलट को 8 घंटे का रेस्ट मिलता है। उनके मुताबिक हेडक्वार्टर के बाहर जाने पर जिन रनिंग रूम में लोको पायलट ठहरते हैं वह पूरी तरह से एयर कंडीशन्ड है। उसमें योगा,न्यूज़ पेपर, टेलीविजन और स्पोर्ट की फैसिलिटी भी मुहैया कराई गई है। रनिंग रूम में सब्सिडाइज दरों पर किचन में खाना उपलब्ध रहता है। महिला कर्मियों के लिए अलग रेस्ट रूम की व्यवस्था की गई है।
ताकि लोको पायलट मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार रहें। लोको पायलट को चार्ज लेने और इंजन पर जाने के बीच आधे घंटे का समय दिया जाता है। ताकि सारे नियमों की जानकारी कर लें और उनकी अन्य जांचें भी पूरी कर ली जाएं। लॉबी इंस्पेक्टर यह चेक कर लें कि लोको पायलट रेस्ट करके आया है कि नहीं। इसके साथ-साथ समय-समय पर लोको पायलट के परिवार से भी संवाद किया जाता है। यह जाना जा सके कि परिवार में किसी तरह की कोई समस्या तो नहीं है। इसका उद्देश्य होता है कि लोको पायलट पूरे संरक्षित और सुरक्षित ढंग से पैसेंजर और गुड्स ट्रेनों का संचालन कर सकें।