spot_imgspot_img

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

महाकुंभ 2025: तीर्थयात्रियों के लिए स्मार्ट सहायता प्रणाली, बिजली के खंभों पर लगे QR कोड का करें उपयोग

  • महाकुंभ में किसी भी जरूरतमंद को मदद पहुंचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। विद्युत पोल पर लगाए गए पीले रंग के क्यूआर कोड को स्कैन करके तुरंत सहायता प्राप्त की जा सकती है। साथ ही, टोल फ्री नंबर 1920 पर कॉल करके भी मदद मांगी जा सकती है। यह पहल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए की गई है।

महाकुंभ 2025 के अवसर पर श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक अनूठी तकनीकी पहल की गई है। महाकुंभ क्षेत्र में लगाए गए पीले रंग के क्यूआर कोड से श्रद्धालुओं को मदद मांगने में आसानी होगी। विद्युत पोल पर लगाए गए इन क्यूआर कोड्स को स्कैन कर श्रद्धालु किसी भी समस्या के समाधान के लिए तुरंत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

महाकुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सहायता के लिए 1920 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध है। यह सेवा हर प्रकार की समस्याओं जैसे पानी की कमी, सड़क की खराबी, खोए हुए व्यक्तियों की सहायता, या पुलिस मदद के लिए तत्पर है।

एक उदाहरण में, लाल मार्ग पर एक श्रद्धालु ने केंद्रीय अस्पताल के पास विद्युत पोल पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन किया। तुरंत हेल्पलाइन नंबर से संपर्क कर उन्हें संगम जाने का सही मार्ग बताया गया।

हर क्यूआर कोड का अद्वितीय पहचान नंबर
महाकुंभ क्षेत्र में प्रत्येक क्यूआर कोड को 1 से 50,000 तक का अद्वितीय पहचान नंबर दिया गया है। इस पहल से न केवल समस्याओं की पहचान सरल हो गई है, बल्कि संबंधित विभागों तक शिकायतों को शीघ्रता से पहुंचाया जा रहा है।

नियंत्रण कक्ष के पर्यवेक्षक, श्री विकास चौहान, ने बताया कि यह प्रणाली न केवल खोए हुए व्यक्तियों की सहायता करती है, बल्कि पानी की कमी और सड़क मरम्मत जैसी समस्याओं के समाधान के लिए भी उपयोगी है। यह पहल डायल 112 और डायल 1920 जैसी आपातकालीन सेवाओं के साथ एकीकृत है।

अखाड़ों में दीक्षा समारोह की परंपरा का निर्वाहन
महाकुंभ के दौरान पारंपरिक दीक्षा समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है। श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा में बुधवार को 9 व्यक्तियों को दीक्षित कर ब्रह्मचारी बनाया गया। दीक्षा प्रक्रिया में अखाड़े और सनातन धर्म की परंपराओं का गहन अध्ययन और अनुसरण किया जाता है।

महामंडलेश्वर संपूर्णानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि दीक्षा के लिए आए व्यक्तियों को पहले अखाड़े की परंपराओं और नियमों को समझने का अवसर दिया जाता है। यदि पंचों को लगता है कि वह व्यक्ति ब्रह्मचारी बनने के योग्य है, तो उसे विधिवत पूजन, मुंडन और पिंडदान के बाद ब्रह्मचारी के रूप में दीक्षित किया जाता है।

धर्म और परंपरा का प्रचार-प्रसार
अखाड़े के दीक्षित ब्रह्मचारी चारों वेदों का अध्ययन करते हैं और समाज में जाकर धर्म और परंपराओं का प्रचार-प्रसार करते हैं। यह पहल आध्यात्मिकता और संस्कृति के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

महाकुंभ 2025 में यह अभिनव पहल न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित कर रही है, बल्कि धर्म और परंपरा के संदेश को भी सुदूर तक पहुंचा रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles