महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच आध्यात्मिक और धार्मिक वातावरण को और अधिक ऊंचाई देते हुए, आह्वान अखाड़े के साधु-संतों का नगर प्रवेश बुधवार से आरंभ होगा। यह भव्य आयोजन अरैल स्थित तपस्वी आश्रम से शुरू होकर नैनी के मड़ौका स्थित आश्रम तक पहुंचेगा।
इस नगर प्रवेश के दौरान लगभग 300 से अधिक साधु-संत अपने लाव-लश्कर के साथ नगर में प्रवेश करेंगे, जो धार्मिक माहौल को और अधिक उत्साहपूर्ण बनाएगा। यह महत्वपूर्ण आयोजन 22 दिसंबर को मड़ौका आश्रम से महाकुंभ मेले के क्षेत्र की छावनी में प्रवेश करेगा। नगर प्रवेश महाकुंभ के आरंभिक आयोजनों में से एक है, जो कुंभ के आध्यात्मिक महत्व और पौराणिक परंपराओं को उजागर करता है।
नगर प्रवेश का महत्व
नगर प्रवेश महाकुंभ की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें साधु-संत शुभ मुहूर्त में नगर में प्रवेश कर पड़ाव डालते हैं। इसके साथ ही महाकुंभ मेले की गतिविधियां औपचारिक रूप से शुरू होती हैं। महाकुंभ 2025 का शुभारंभ पौष पूर्णिमा स्नान से होगा और इसका समापन 26 फरवरी, 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होगा।
महाकुंभ का पौराणिक आधार
महाकुंभ के आयोजन का आधार पौराणिक कथा में छिपा है। राक्षसों और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्त हुआ, जिसकी रक्षा के लिए दोनों पक्षों में युद्ध हुआ। इस दौरान अमृत की बूंदें चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर हर 12 वर्ष में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
महाकुंभ 2025 के इस आयोजन में श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा का संगम देखने को मिलेगा। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन भी करेगा।