- बाबा की अनोखी होली भेंट: भक्तों को भस्म, अबीर-गुलाल, वस्त्र और चॉकलेट का प्रसाद मिलेगा।
- रंगों का आध्यात्मिक संगम: काशी और मथुरा की होली परंपराओं का अनूठा मेल।
- रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व: इस पावन अवसर पर बाबा स्वयं भक्तों को आशीर्वाद देंगे।
- मोक्ष नगरी का ऐतिहासिक जुड़ाव: काशी-मथुरा के संबंधों को नया आयाम देगी यह परंपरा।
- भक्ति और उल्लास का पर्व: श्रद्धालुओं के लिए रंग और आस्था से भरा होगा यह पावन आयोजन।
वाराणसी – इस बार रंगभरी एकादशी और होली पर्व दो मोक्ष नगरियों काशी और मथुरा के पवित्र संबंधों को एक नया आयाम देंगे। श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा से लड्डू गोपाल बाबा विश्वनाथ के लिए रंग, अबीर और गुलाल भेजेंगे, तो वहीं बाबा विश्वनाथ की ओर से कान्हा के लिए भस्म, अबीर, गुलाल, वस्त्र और चॉकलेट भेजे जाएंगे।
इस अनोखी परंपरा की शुरुआत को लेकर दोनों तीर्थों के अधिकारियों के बीच पत्राचार हुआ, जिसके तहत इस नवाचार को आधिकारिक रूप से लागू करने का निर्णय लिया गया है।
धार्मिक परंपरा को समृद्ध करेगा यह आयोजन
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि भगवान शिव और श्रीकृष्ण की भक्ति को जोड़ने वाले इस धार्मिक आयोजन की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इसके लिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट, मथुरा के सचिव कपिल शर्मा और गोपेश्वर चतुर्वेदी से चर्चा की गई, और उन्होंने इस विचार को सहर्ष स्वीकार कर लिया।
गुरुवार को दोनों मंदिरों के प्रबंधन ने आपसी सहमति से ईमेल के माध्यम से अनुरोध और प्रस्ताव साझा किए। यह आयोजन सनातन परंपरा को और समृद्ध करेगा और भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक सौगात लेकर आएगा।
रंगभरी एकादशी का ऐतिहासिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी को रंगभरी एकादशी की कथा सुनाई थी। तभी से यह पर्व भक्तों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में भी रंगभरी एकादशी धूमधाम से मनाई जाती है, जिसका स्थानीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक महत्व भी है।
इस धार्मिक उपहार आदान-प्रदान से भक्तों को लड्डू गोपाल के बाल स्वरूप और बाबा विश्वनाथ के दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होगी। इस अवसर पर दोनों तीर्थ स्थलों पर विशेष समारोह आयोजित किए जाएंगे, जहां भव्य उत्सव के साथ इन उपहारों का आदान-प्रदान किया जाएगा।

मथुरा-वृंदावन में 40 दिवसीय रंगोत्सव की विशेष तैयारियां
मथुरा-वृंदावन में वसंत पंचमी से शुरू होकर 40 दिनों तक चलने वाले रंगोत्सव की भव्य तैयारियां की गई हैं। पर्यटन विभाग ने देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की है।
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि बरसाना की लट्ठमार होली, बलदेव जी का हुरंगा और धधकती आग से पंडा के निकलने जैसे दृश्य इस पर्व को और रोमांचकारी बनाते हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पर्यटकों को किसी भी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए सभी व्यवस्थाओं की सतर्कता से समीक्षा की जाए।
इस बार की रंगभरी एकादशी काशी और मथुरा के पावन रिश्तों को और मजबूत करेगी। यह धार्मिक आदान-प्रदान सनातन संस्कृति की जीवंतता और इसकी गहरी आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक बनेगा। बाबा विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मस्थान के इस अनूठे मिलन से भक्तों को एक नया आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा।
इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन का साक्षी बनने के लिए भक्तों को आमंत्रित किया जाता है!