बरेली, उत्तर प्रदेश – विशेष न्यायाधीश एनआईए विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने देशविरोधी गतिविधियों में शामिल आतंकियों मो. इनामुल हक और शकील अहमद डार उर्फ मो. इकबाल कुरैशी को 10 साल का कठोर कारावास और 30,000 रुपये जुर्माना लगाने की सजा सुनाई है। इस मामले में आतंकवादियों के नेटवर्क और उनके द्वारा किए गए संगठनों के संपर्क की विस्तृत जांच के बाद यह सजा तय की गई।
आतंकवादियों का नेटवर्क और जिहादी साजिश
एटीएस मामलों के विशेष लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि दोनों आरोपी ओसामा बिन लादेन जैसे कट्टर आतंकवादी के मार्ग पर चलते हुए विभिन्न संगठनों से जुड़कर इस्लामी कट्टरपंथी जिहादियों का विस्तार करने और देश में अपना अधिपत्य स्थापित करने की साजिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आरोपी इनामुल हक और शकील अहमद डार ने ‘लाइफ इस फॉर जिहाद’ नामक ग्रुप बना कर आपस में बातचीत की थी, जिसमें वे देश की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के खिलाफ कोई बड़ी घटना अंजाम देने की योजना बना रहे थे।
गिरफ्तारी और जिहादी सामग्री का खुलासा
18 जून 2020 को इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। गिरफ्तार दोनों आतंकियों के फोन की जांच से पता चला कि वे टेलीग्राम और वाट्सऐप जैसे ऐप्स का इस्तेमाल कर अपनी जिहादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। फोन से जिहाद से संबंधित सामग्री और कमलेश तिवारी की हत्या की तस्वीरें भी बरामद हुईं, जो उनके कट्टरपंथी दृष्टिकोण और खतरनाक इरादों को उजागर करती हैं।
इनामुल हक का अल-कायदा से संबंध
इनामुल हक, जो बरेली के किला थाना क्षेत्र का निवासी है, ने अपनी गिरफ्तारी के बाद यह स्वीकार किया कि वह अल-कायदा का एजेंट था। उसके फोन से प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा का साहित्य बरामद हुआ था। उसने अपनी गतिविधियों के दौरान इंटरनेट और सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए युवाओं को अपने जिहादी नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश की थी। वह बरेली और मुरादाबाद मंडल के विभिन्न जिलों में संपर्क साधने के लिए लगातार यात्रा कर रहा था।
एनआईए और एटीएस की संयुक्त कार्रवाई
इस मामले में एटीएस और एनआईए की संयुक्त कार्रवाई से इन आतंकवादियों को पकड़ने में सफलता मिली, जो देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी जीत है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां देश में आतंकवाद के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई कर रही हैं।