उत्तर प्रदेश की बेटियों ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में देश और प्रदेश का परचम लहराया है।
लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की छात्राएँ स्वाति और कनक सिंह ने युगांडा पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट 2025 में स्वर्ण,
रजत और कांस्य पदक जीतकर यह साबित कर दिया है कि अवसर मिलने पर कोई भी शारीरिक सीमा प्रतिभा को नहीं रोक सकती।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में दिव्यांगजन सशक्तिकरण की जो नीतियाँ धरातल पर उतारी गई हैं,
- उनकी गूंज अब वैश्विक मंचों पर भी सुनाई देने लगी है।
- स्वाति और कनक की सफलता भी इसी नीति का परिणाम है।
स्वाति को तीन, कनक को दो पदक
- स्वाति ने महिला एकल SU-5 वर्ग में रजत पदक जीता।
- महिला युगल SL3-SU5 में उन्होंने स्वर्ण पदक और मिक्स्ड डबल्स में कांस्य पदक भी प्राप्त किया।
- कनक सिंह ने महिला एकल SL-4 और महिला युगल वर्ग में दो कांस्य पदक जीते।
- यह प्रतियोगिता 1 से 6 जुलाई तक युगांडा की राजधानी कैंपाला में आयोजित की गई थी।
- इसमें 50 से अधिक देशों के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों ने भाग लिया।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण नीति का असर
- प्रदेश के दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कश्यप ने दोनों खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं।
- उन्होंने कहा कि यह सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि योगी सरकार की दिव्यांगजन सशक्तिकरण नीति की भी सफलता है।
- बेटियों ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि अवसर,
- संसाधन और मार्गदर्शन मिल जाए, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रहती।
पुनर्वास नीति और प्रशिक्षण प्रणाली की सफलता
- कुलपति प्रो. संजय सिंह ने इस उपलब्धि को विश्वविद्यालय की पुनर्वास और अकादमिक नीति का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि छात्राएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। यह पूरे प्रदेश की बेटियों और दिव्यांगजनों के लिए एक प्रेरणादायक क्षण है।
इसके अलावा, क्रीड़ा एवं योग प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. पाण्डेय राजीवनयन ने इसे विश्वविद्यालय की प्रशिक्षण नीति की सफलता बताया। वहीं कोच इरशाद अहमद ने भावुक होकर कहा कि सच्ची लगन, मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती।