- कमीशनखोरी का बड़ा खुलासा – सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाली कंपनी से 5% कमीशन मांगने का मामला सामने आया।
- ईडी की जांच की तैयारी – निकांत जैन और निलंबित IAS अभिषेक प्रकाश के खिलाफ जल्द हो सकती है कार्रवाई।
- भ्रष्टाचार पर शिकंजा – कमीशनखोरी के आरोप में निकांत जैन की मुश्किलें और बढ़ीं।
- अभिषेक प्रकाश पर बढ़ता दबाव – निलंबित IAS अधिकारी की भूमिका की होगी गहन जांच।
- सरकारी तंत्र में बड़ा घोटाला? – ईडी, भ्रष्टाचार के इस मामले में जल्द उठा सकती है कड़ा कदम।
लखनऊ। सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र लगाने वाली कंपनी से पांच प्रतिशत कमीशन मांगने के मामले की जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस हाई-प्रोफाइल मामले की गहन जांच के लिए जानकारी जुटा रहा है। सूत्रों के अनुसार, ईडी जल्द ही लखनऊ पुलिस से मामले में दर्ज एफआईआर की प्रति लेकर उसका अध्ययन करेगा और पुलिस जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर अपनी जांच शुरू करेगा।
ईडी के रडार पर निकांत जैन और अभिषेक प्रकाश
कमीशनखोरी के आरोप में गिरफ्तार निकांत जैन की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पुलिस अब उनकी कंपनियों के बैंक खातों की भी गहन पड़ताल कर रही है। वहीं, निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ विजिलेंस जांच की भी तैयारी की जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र लगाने के लिए ₹7000 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया था। इस परियोजना को इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों द्वारा मंजूरी देने के लिए 5% (₹350 करोड़) की रिश्वत मांगे जाने का आरोप लगा था। मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया था।
लखनऊ पुलिस ने इस मामले में कमीशन मांगने के आरोप में निकांत जैन को गिरफ्तार किया है, जबकि एसटीएफ भी मामले की गहराई से जांच कर रही है। निकांत जैन के पारिवारिक व्यवसाय की भी पड़ताल हो रही है, जिसमें रियल एस्टेट समेत उनकी कई कंपनियों की वित्तीय जांच शामिल है।
अभिषेक प्रकाश पर अन्य मामलों की भी जांच
निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ लखनऊ डिफेंस कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण में धांधली के मामले में भी जांच चल रही है। राजस्व परिषद की 83 पन्नों की रिपोर्ट में उन पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।
राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे द्वारा सौंपी गई इस जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश और तहसीलदार सरोजनीनगर को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भूमि खरीद के दौरान सरकारी दर निर्धारण में गड़बड़ी की गई, जिससे सरकारी धन की हानि हुई। हालांकि, अगस्त 2024 में रिपोर्ट सौंपे जाने के बावजूद इस पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी।
ईडी की संभावित कार्रवाई
सूत्रों का कहना है कि ईडी इस पूरे मामले में गहराई से जांच कर सकती है और जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई जाएगी, उनके खिलाफ कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। इस मामले में निकांत जैन की कॉल डिटेल्स की भी जांच की जा रही है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि भ्रष्टाचार में और कौन-कौन शामिल था।
सरकारी तंत्र में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले इस मामले में जल्द ही ईडी की कार्रवाई देखने को मिल सकती है।