• कानपुर के ऐतिहासिक हटिया गंगा मेला की धूम – शहर में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है यह पारंपरिक उत्सव।
  • जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने तिरंगा फहराया – होली खेलने की औपचारिक शुरुआत की और रंगों के इस महापर्व का उद्घाटन किया।
  • रंगों का ठेला निकला, लोग हुए सराबोर – भैसा ठेला, ट्रैक्टर-ट्रॉली, ऊंट और घोड़ों के साथ पारंपरिक शोभायात्रा निकाली गई।
  • संस्कृति और जिंदादिली का प्रतीक मेला – गंगा मेला की परंपरा लोगों को भाईचारे और उल्लास के रंग में रंगने का संदेश देती है।
  • शहरवासियों में दिखा जबरदस्त उत्साह – हर उम्र के लोग रंगों के साथ इस ऐतिहासिक मेले का आनंद उठा रहे हैं।

कानपुर: ऐतिहासिक हटिया गंगा मेला की भव्य शुरुआत गुरुवार को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के तिरंगा फहराने के साथ हुई। यह मेला कानपुर की सांस्कृतिक विरासत और जिंदादिली का प्रतीक माना जाता है। जिलाधिकारी ने कहा कि अनुराधा नक्षत्र में मनाया जाने वाला यह ऐतिहासिक मेला, अंग्रेजों के दमन के खिलाफ शौर्य और भाईचारे का प्रतीक है।

अंग्रेजों के दमन के खिलाफ शुरू हुई थी यह परंपरा

हटिया गंगा मेला की परंपरा ब्रिटिश शासन के दौरान 1942 में शुरू हुई, जब अंग्रेज कलेक्टर ने शहर में होली खेलने पर रोक लगा दी थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, हर साल शहर के जिलाधिकारी द्वारा तिरंगा फहराने के साथ होली खेलने की शुरुआत की जाती है। यह परंपरा आज भी उतनी ही उत्साह और भव्यता के साथ निभाई जा रही है।

रंगों का ठेला निकला, उमड़ा जनसैलाब

गुरुवार को रंगों का ठेला पारंपरिक धूमधाम के साथ निकाला गया। पुलिस बैंड की धुन पर तिरंगे के ध्वजारोहण के बाद भैसा ठेला, ट्रैक्टर ट्रॉली, ऊंट और घोड़ों के साथ पारंपरिक शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान जेट मशीनों से लोगों को पानी से सराबोर किया गया, जिससे पूरा माहौल रंगीन हो उठा।

शहीदों को श्रद्धांजलि

गंगा मेले की शुरुआत में सबसे पहले 23 मार्च को शहीद हुए महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि दी गई। अनुराधा नक्षत्र के अवसर पर निकाला गया रंगों का ठेला शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरकर आजादी और भाईचारे का संदेश देता है।

हजारों लोगों ने लिया उत्सव में हिस्सा

रंगों के ठेले के साथ छह ऊंट, छह ट्रैक्टर ट्रॉली और सात टेंपो ट्रॉली शामिल थे, जो हटिया रज्जन बाबू पार्क से शुरू होकर विभिन्न मोहल्लों में भ्रमण कर वापस पार्क में पहुंचे। पूरे शहर में होली के रंग और उमंग की लहर दौड़ गई।

यह गंगा मेला कानपुर की संस्कृति, भाईचारे और आपसी एकजुटता का अनूठा उदाहरण है, जो हर साल पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

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