तिलोदकी गंगा पुनरुद्धार: योगी सरकार की एक सांस्कृतिक और हरित पहल
तिलोदकी गंगा पुनरुद्धार परियोजना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में तेजी से आगे बढ़ रही है।
यह नदी ऋषि रमणक की तपोभूमि से जुड़ी हुई है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
नदी के पुनरुद्धार का उद्देश्य
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पौराणिक नदी तिलोदकी गंगा को फिर से जीवित करना है।
इसके अलावा, इसका उद्देश्य रोजगार सृजन और पर्यावरण सुरक्षा को भी बढ़ावा देना है।
मनरेगा योजना से जुड़ा कार्य
यह कार्य मनरेगा योजना के अंतर्गत किया जा रहा है। नदी का कुल विस्तार 25 किलोमीटर है। अब तक 11 किलोमीटर क्षेत्र में कार्य पूरा हो चुका है।
परिणामस्वरूप, 43,703 मानव दिवसों का सृजन हुआ है। इसके साथ ही, 3,100 परिवारों को रोजगार भी मिला है।
वैदिक वनों की स्थापना
परियोजना के अंतर्गत 58 ग्राम पंचायतों में वैदिक वनों की स्थापना की जा रही है। इन वनों को वशिष्ठ,
अगस्त्य, गार्गी, और मैत्रेयी जैसे प्राचीन ऋषियों और विदुषियों के नाम पर समर्पित किया गया है।
इस प्रकार, यह पहल आध्यात्मिकता और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित कर रही है।
इन वनों में नीम, पीपल, शीशम, अर्जुन जैसे 5 लाख से अधिक देशी पौधे लगाए जा रहे हैं।
साथ ही, यह जैव विविधता को भी समृद्ध करेगा।
धार्मिक परंपराओं का पुनर्जागरण
भादों मास की अमावस्या पर लगने वाला “कुशोदपाटिनी अमावस्या मेला” वर्षों से बाधित रहा है। हालांकि, अब नदी के पुनरुद्धार के बाद यह परंपरा फिर से जीवंत हो सकेगी।
वन्यजीवों को मिलेगा आश्रय
इस परियोजना से वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास मिलेगा। साथ ही, एक ऑक्सीजन बैंक भी स्थापित होगा। कुल 2.5 लाख मानव दिवसों के सृजन का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 2,000 से अधिक परिवार लाभान्वित हो चुके हैं।
आध्यात्मिक और हरित अयोध्या की ओर
अंततः, तिलोदकी गंगा का पुनरुद्धार केवल एक नदी को पुनर्जीवित करने की योजना नहीं है। बल्कि, यह योगी सरकार के “संस्कृति, प्रकृति और समृद्धि” के संतुलित विकास मॉडल का स्पष्ट उदाहरण है। कुल मिलाकर, यह परियोजना धार्मिक आस्था, रोजगार सृजन, जैव विविधता और हरित विकास के चारों स्तंभों को मजबूती दे रही है। अधिक जानकारी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइट देखें।