नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने इस मामले को ऐसा मुद्दा बताया, जिस पर न्यायालय निर्णय नहीं कर सकता।
‘सरकार चलाना कोर्ट का काम नहीं’
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “हम हर चीज के विशेषज्ञ नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट हर चीज की दवा नहीं है। सरकार चलाना कोर्ट का काम नहीं है।” उन्होंने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे उचित मंच पर जाकर इस मुद्दे को उठाएं।
याचिका में की गई थी विशेष मांगें
ओडिशा के याचिकाकर्ता पिनाकी पाणि मोहंती ने अपनी याचिका में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के आदेश देने की अपील की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नेताजी की मृत्यु 1945 में विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी और इस मामले पर अभी तक कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकला है। उन्होंने यह मांग भी की कि यह घोषित किया जाए कि भारत को स्वतंत्रता आजाद हिंद फौज की वजह से मिली।
न्यायालय की स्पष्ट टिप्पणी
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद स्पष्ट किया कि यह मामला नीतिगत मुद्दा है और इसे उपयुक्त मंच पर उठाना चाहिए। “एक आयोग सही था या दूसरा, यह नीति का सवाल है।”
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस मुद्दे को राजनीतिक और प्रशासनिक मंच पर उठाना चाहिए, क्योंकि यह न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का विषय नहीं है।
आगे की प्रक्रिया:
याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कानूनी मंच से अधिक राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रिया पर जोर दिया जाना चाहिए।
